लखनऊ. हनुमानजी पर जातिगत बयानों के बीच लखनऊ में शनिवार को दलित उत्थान के बैनर तले दलित समाज के कुछ लोग दोपहर में हजरतगंज के दक्षिणमुखी हनुमान मन्दिर पहुंच गए। यहां हनुमान चालीसा का पाठ किया और सांकेतिक रूप से मंदिर पर कब्जे का प्रयास किया। साथ ही शहर के हनुमान सेतु सहित सभी मंदिरों पर अपना हक जताया। इससे हड़कंप मच गया। प्रदेश सरकार ने इसे अराजकता करार देते हुए कहा है कि किसी को इसकी छूट नहीं दी जाएगी।

राजस्थान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हनुमानजी पर आए एक बयान के बाद से प्रदेश के कुछ शहरों में दलित समाज ने हनुमान मंदिरों पर अपना दावा पेश करना शुरू कर दिया है। ‘दलितों के देवता बजरंगबली का मंदिर हमारा है’ जैसी तख्तियां हाथों में लिए दलित उत्थान सेवा समिति के बैनर तले दलित समाज के लोगों का समूह शनिवार को लखनऊ में हजरतगंज चौराहे के ठीक बगल में दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर पर कब्ज़ा करने पहुंचा। तख्तियों पर नीचे इनके नेता का नाम भी नीले अक्षरों में बड़ा-बड़ा लिखा था।

प्रदर्शन में शामिल लोगों का कहना था कि लखनऊ के सभी हनुमान मंदिरों पर हमारा हक है। इनमें से कुछ लोगों ने मंदिर परिसर के बाहर पोस्टर लगाने का प्रयास किया, लेकिन उनको रोक दिया गया। इस घटना के बाद पुलिस सतर्क हो गई और शहर के अन्य बड़े हनुमान मंदिरों के बाहर पुलिस बल लगा दिया गया।

हजरतगंज के हनुमान मंदिर पर पहुंचे लोगों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया और बाद में सांकेतिक रूप से मन्दिर पर कब्ज़ा करने का प्रयास किया। हालांकि यह सब कुछ पूरी तरह से शांतिपूर्वक हुआ। इसमें किसी भी तरह का हो-हल्ला या फिर मंदिर के पुजारी और दलित समुदाय के लोगों में कोई विवाद नहीं हुआ। दलित सेवा उत्थान समिति से जुड़े विजय बहादुर ने कहा कि जब बजरंगबली दलित समुदाय के थे तो मंदिर पर दलित पुजारी की नियुक्ति होनी चाहिए। उधर, मंदिर के पुजारी बुजेश शुक्ला का कहना है कि ये लोग पहले मंदिर के थोड़ी दूर पर सड़क किनारे बैठकर प्रदर्शन कर रहे थे। फिर अचानक मंदिर में आकर हनुमान चालीसा का पाठ करने लगे। उन्होंने कहा कि हनुमान मंदिर को राजनीति में नहीं खींचा जाना चाहिए। हनुमान जी का मंदिर सभी के लिए है।