मां लक्ष्मी सिर्फ धन की अधिष्ठात्री नहीं हैं. ज्यादातर लोग उनका पूजन सिर्फ उन्हें धन की देवी मानकर करते हैं. धर्मग्रंथों के अनुसार मां लक्ष्मी धन के अलावा ज्ञान, संतान, धान्य, साहस और विजय भी प्रदान करती हैं. पुराणों के अनुसार मां लक्ष्मी के आठ रूप हैं, इसीलिए उन्हें अष्टलक्ष्मी भी कहा जाता है. मान्यता है कि अष्टलक्ष्मी की आराधना से मनुष्य की सभी समस्याओं का निवारण होता है. समृद्धि, धन, यश, ऐश्वर्य व संपन्नता प्राप्त होती है.
जाने मां लक्ष्मी के अष्ट रूपों के बारे में
1) आदि लक्ष्मी
इन्हें मूललक्ष्मी, महालक्ष्मी भी कहा जाता है. श्रीमद् देवीभागवत पुराण के अनुसार आदिलक्ष्मी ने सृष्टि की रचना की. उन्हीं से त्रिदेव और महाकाली, लक्ष्मी व महासरस्वती प्रकट हुईं. इस दुनिया के पालन और संचालन के लिए उन्होंने विष्णु से विवाह किया. महालक्ष्मी जीवन उत्पन्न करती हैं. सुख, समृद्धि देती हैं.
2) धार्या लक्ष्मी
इन्हें वीर लक्ष्मी भी कहा जाता है. भौतिक और आध्यात्मिक जरूरतों को पूरा करने में आने वाली रुकावटों को दूर करती हैं. ये अकाल मृत्यु से बचाती हैं. इन्हें मां कात्यायनी का रूप भी माना जाता है, जिन्होंने महिषासुर का वध किया था. धार्या लक्ष्मी युद्ध में विजय दिलाती हैं. ये वीरों की रक्षा करती हैं.
3) संतान लक्ष्मी
इस रूप में देवी की पूजा स्कंद माता के रूप में भी होती है. कुछ रूपों में इनके चार तो कुछ में आठ हाथ दिखाए गए हैं. इनमें से एक अभय और एक वरद मुद्रा में रहता है. ये गुणवान और लंबी उम्र जीने वाली स्वस्थ संतान का आशीर्वाद देती हैं. संतान लक्ष्मी बच्चे के लिए स्नेह का प्रतीक हैं. वे पिता को कर्तव्य, मां को सुख देती हैं.
4) विद्या लक्ष्मी
ये शिक्षा ज्ञान और विवेक की देवी हैं. बुद्धि और ज्ञान का बल देती हैं. विद्या लक्ष्मी आत्म-संदेह और असुरक्षा दूर करती हैं. आत्मविश्वास देती हैं. विद्यार्थी वर्ग को लक्ष्मी के इस रूप का ध्यान करना चाहिए. आध्यात्मिक जीवन जीने में भी मदद करती हैं. विद्या लक्ष्मी व्यक्ति की क्षमता और प्रतिभा को बाहर लाती हैं.
5) धान्य लक्ष्मी
लक्ष्मी का ये रूप प्रकृति के चमत्कारों का प्रतीक है. वे समानता सिखाती हैं, क्योंकि प्रकृति सभी के लिए समान है. कोई भी भोजन के बिना नहीं रह सकता है. धान्य लक्ष्मी के 8 हाथ हैं, जिनमें कृषि उत्पाद भी होते हैं. अन्नपूर्णा का रूप हैं. धान्य लक्ष्मी अनाज और पोषण की देवी हैं. इनकी कृपा से घरों में धान्य बना रहता है.
6) गज लक्ष्मी
ये भूमि की उर्वरता की देवी हैं. इस रूप में दोनों ओर से इन पर हाथी जल बरसाते हैं. कमल पर विराजित गजलक्ष्मी के चार हाथ हैं, जिनमें वे कमल का फूल, अमृत कलश, बेल और शंख धारण किए हुए हैं. ये पशु धन को देने वाली देवी हैं. गज लक्ष्मी पशुधन से समृद्धि देती हैंं. वे जीवन में पशुओं से समृद्धि का प्रतीक हैं.
7) विजय लक्ष्मी
इन्हें जय लक्ष्मी भी कहा जाता है. इनके आठ हाथ हैं, जो अभय के लिए काम करते हैं. कोर्ट-कचहरी की चिंताओं से मुक्ति और विजय के लिए देवी के इस रूप को पूजा जाता है. ये मुश्किल परिस्थितियों में साहस बनाए रखने की प्रेरणा देती हैं. विजय लक्ष्मी हर परेशानी में विजय दिलाती हैं. निडरता देती हैं.
8) धन लक्ष्मी
जब भगवान वेंकटेश (विष्णु) ने कुबेर से कर्ज लिया तो लक्ष्मी ने कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए यह रूप लिया था. इस रूप की पूजा कर्ज मुक्ति के लिए की जाती है. इनके छह हाथ हैं. धन लक्ष्मी पैसा, सोना, संपत्ति तो देती ही हैं, इच्छाशक्ति, साहस, दृढ़ संकल्प, उत्साह भी देती हैं.
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक