मानव वन्य जीव संघर्ष को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि ‘जब हम वन्यजीव के लिए किसी एक कदम उठाने की बात करते हैं तो हमें उसके लिए पूरे वन इकोसिस्टम की बारीकी को समझना पड़ता है. इनमें तीन कदम सबसे सरल हैं. उनमें से एक कदम वन्यजीवों की आबादी जंगल के अनुपात में ज्यादा बढ़ गई है, उनका बंध्याकरण और तात्कालिक आधार पर उन्हें कहीं और वन क्षेत्र में रिलोकेट करना है. इसलिये जो वन्यजीवों के बंध्याकरण का निर्णय लिया गया है वह उचित है. मगर इनसे अभी जो गांवों में खतरा पैदा हो गया है उसका समाधान नहीं निकलेगा. क्योंकि जंगलों में कुछ प्रजातियों के जानवरों की संख्या जंगलों और उनमें उपलब्ध भोजन के अनुपात में बहुत अधिक हो गई है. वह एक से अधिक कारणों के कारण गांवों में आ रहे हैं और मनुष्यों पर आक्रमण कर रहे हैं’.

रावत ने आगे कहा कि यदि सरकार ऐसी घटनाओं को नियंत्रित करना चाहती है तो उन्हें बंध्याकरण के निर्णय के साथ-साथ, भारत सरकार के प्रयासों से हमारे राज्य के जंगल की क्षमता से ज्यादा जो भालू, बंदर, लंगूर, गुलदार, बाघ हो गए हैं उन्हें ऐसे प्रजाति के कम वन पशु वाले राज्यों के जंगलों में भेजा जाना चाहिए और यदि इससे तात्कालिक उपाय है कि हम अपने राज्य के अंदर बाघ, गुलदार और भालू जो हिंसक जानवर हैं उनके लिए अलग-अलग सफारी बनाएं और उन सफारी में इन जानवरों को डाला जाए ताकि जंगलों में इन प्रजातियों के उतने ही जानवरों को रहने दिया जाए जितना जंगल में उनके लिए आहार उपलब्ध है.

इसे भी पढ़ें : मानव वन्य जीव संघर्ष: CM धामी ने महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की घोषणा, कहा- सेंसर बेस्ड अलर्ट सिस्टम स्थापित किया जाए

पूर्व सीएम ने कहा कि गांवों में जो सुअरों व वन रोज का प्रकोप है, उन सुअरों का वन रोज को मारने की अनुमति बिना शर्त के दी जानी चाहिए. मगर हमारे समय में यह अनुमति थी, जो हमारी सरकार के जाते ही बंद कर दी गई. हमारे समय में लेपर्ड सफारी की योजना भी तैयार की गई और साथ-साथ बंदर बाड़े बनाए गए. जिनमें शायद हरिद्वार वाला बंदर वाड़ा अब भी चल रहा है. लेकिन हर जिले में बंदर वाड़े बनने थे और एक कदम जिसको तत्काल उठाने की आवश्यकता है. वह है जितने चेक पोस्ट हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश से कट खने बंदर एक विशेष तरीके के बंदर हैं जो शहरी आबादी के आस-पास रहते हैं और उनको वहां की म्युनिसिपलिटीज पकड़ करके हमारे राज्य के अंदर भेज दे रही है. हमारे राज्य के अंदर जितने प्रवेश के स्थान है वहां पुलिस बल को लगाकर यह आदेश दिया जाना चाहिए कि हर हालत में ऐसे बंदर और लंगूरों को ला रहे ट्रक आदि को वहां रोकें और वापस करें.