नई दिल्ली. हरियाणा के खिलाड़ियों को पुरस्कार राशि और विज्ञापनों से मिलने वाले पैसों का एक-तिहाई हिस्सा हरियाणा खेल परिषद को देने के फैसले पर हरियाणा सरकार ने यू-टर्न ले लिया है. मुख्यमंत्री  मनोहरलाल खट्टर ने इन नोटिफिकेशन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. हरियाणा सरकार के 30 अप्रैल के नोटिफिकशन के मुताबिक खिलाड़ियों को कमर्शियल एंडोर्समेंट और प्रोफेशनल स्‍पोटर्स के ज़रिए होने वाली कमाई का एक तिहाई हिस्सा हरियाणा स्टेट स्पोर्ट्स काउंसिल को देने के लिए कहा था. नोटिफिकेशन में कहा गया कि इससे मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल राज्य में खेल के विकास के लिए किया जाएगा.

हरियाणा में खिलाड़ियों को प्रोफेशन से जो कमाई होगी. उसका 33 फीसदी सरकार को देना होगा. इसको लेकर हरियाणा के खेल मंत्री अनिल विज का कहना है कि खेल विभाग में इस प्रकार के नियम पहले से ही हैं, इसमें कुछ नया नहीं है. खिलाड़ियों की नोटिफिकेशन के मामले पर जवाब देते हुए विज ने कहा कि इसमें कोई नई बात नहीं है ये हरियाणा सरकार का रूल 56 के तहत एक नियम होता है कि अगर कोई भी सरकारी कर्मचारी कोई कमर्शियल इनकम करता है तो उसका एक तिहाई वो सरकार को जमा करवाएगा.

विज ने कहा कि हमने बॉक्सर विजेंदर को जब प्रोफेशनल बॉक्सिंग के लिए इजाजत दी थी, तब हाइकोर्ट में एक केस लगा था. उस केस में हाईकोर्ट ने हमें कहा था कि खिलाड़ियों के लिए भी गाइडलाइंस तय की जाएं. ये जो सरकारी कर्मचारी और खिलाड़ी प्रोफेशनल खेलते हैं उनके लिए ये नोटिफिकेशन जारी की गई है, जो कि सरकार का एक बहुत पुराना नियम है.

बता दें कि हरियाणा सरकार ने एक अजीबो-गरीब फरमान जारी किया है. सरकार ने हरियाणा प्रोफेशनल खिलाड़ियों को बड़ा झटका देते हुए उनकी कमाई का पैसा मांगा है. खेल विभाग ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए प्रोफेशनल खिलाड़ियों की आय का 33 फीसदी हिस्सा मांगा है. हरियाणा सरकार के खेल विभाग के प्रधान सचिव अशोक खेमका ने ये निर्देश जारी किया है. खिलाड़ी अगर बिना तनख्वाह के किसी प्रोफेशनल टूर्नामेंट या विज्ञापन इत्यादि में काम करता है तो उसे कमाई की एक तिहाई फीस स्पोर्टस कौंसिल को देनी होगी.