भारतीय रुपया एक बार फिर विदेशी मुद्रा बाजार के दबाव में झुक गया है. गुरुवार की सुबह शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 7 पैसे कमजोर होकर ₹88.69 पर पहुंच गया. यह मामूली गिरावट भले ही साधारण दिखे, लेकिन इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय बाजार की कई परतें छिपी हैं, जिनमें अमेरिकी डॉलर इंडेक्स की मजबूती, घरेलू इक्विटी में गिरावट और तेल की वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव प्रमुख हैं.

डॉलर के दबाव में रुपया, निवेशकों का मूड सतर्क

विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि वर्तमान में रुपया एक सीमित दायरे में फंसा हुआ है. भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को लेकर भले ही सकारात्मक उम्मीदें बनी हुई हैं, लेकिन अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती और डॉलर इंडेक्स का स्थिर रहना रुपये की राह में रुकावट बना हुआ है.

गुरुवार को अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया ₹88.66 पर खुला, और थोड़ी गिरावट के बाद ₹88.69 तक पहुंच गया. पिछले कारोबारी सत्र में यह ₹88.62 पर बंद हुआ था, यानी कुल मिलाकर 7 पैसे की गिरावट दर्ज की गई.

मार्केट एक्सपर्ट की राय: “88.40 पर मजबूत सपोर्ट, लेकिन सावधानी जरूरी”

सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के एमडी अमित पाबारी के मुताबिक, डॉलर/रुपया जोड़ी फिलहाल एक अहम तकनीकी स्तर पर है. उन्होंने कहा- “₹88.40 रुपये का स्तर मजबूत सपोर्ट है. अगर यह स्तर टूटता है तो रुपया और मजबूत होकर ₹87.70–₹88.00 की रेंज में जा सकता है. लेकिन ऊपर की ओर ₹88.70–₹88.80 पर रजिस्टेंस है, जहां से फिर दबाव दिख सकता है.”

यह बयान स्पष्ट करता है कि फिलहाल भारतीय मुद्रा एक “क्रॉसओवर ज़ोन” में है, यानी अगले कुछ कारोबारी सत्र तय करेंगे कि रुपया स्थिर रहेगा या फिर डॉलर के दबाव में और फिसलेगा.

डॉलर इंडेक्स और तेल कीमतें बनीं निर्णायक फैक्टर

अमेरिकी डॉलर सूचकांक, जो छह प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापता है, 0.02% बढ़कर 99.51 पर पहुंच गया है. यह स्थिरता यह संकेत देती है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था अब भी मजबूत स्थिति में है.

वहीं, ब्रेंट क्रूड ऑयल में भी मामूली गिरावट दर्ज की गई — यह 0.13% घटकर $62.63 प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था. तेल की यह गिरावट भारत जैसे आयातक देशों के लिए राहतभरी खबर है, लेकिन यह राहत फिलहाल रुपये को संभालने के लिए पर्याप्त नहीं साबित हुई है.

घरेलू शेयर बाजार का सुस्त रुख भी बना कारण

घरेलू स्तर पर भी बाजार का मूड कमजोर रहा. सेंसेक्स 205 अंक की गिरावट के साथ 84,261.43 पर और निफ्टी 61 अंक गिरकर 25,814.65 पर पहुंचा. निवेशकों के मूड पर इसका सीधा असर पड़ा, जिससे रुपये पर भी बिकवाली का दबाव बढ़ गया. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने बुधवार को ₹1,750.03 करोड़ के शेयरों की बिक्री की जो यह संकेत देता है कि विदेशी पूंजी फिलहाल सतर्क मोड में है.

सरकार का निर्यात मिशन और संभावित राहत

इन सबके बीच सरकार ने बुधवार को एक बड़ा कदम उठाया, वित्त वर्ष 2025 से शुरू होने वाले छह वर्षों के लिए ₹25,060 करोड़ की लागत वाले ‘निर्यात संवर्धन मिशन (Export Promotion Mission)’ को मंजूरी दी गई. इसका उद्देश्य अमेरिकी शुल्कों से प्रभावित भारतीय निर्यातकों को राहत देना और विदेशी व्यापार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है. माना जा रहा है कि अगर यह नीति प्रभावी रही तो अगले कुछ महीनों में रुपये की स्थिरता और निर्यात आधारित डॉलर फ्लो को बल मिल सकता है.

सपोर्ट और रजिस्टेंस के स्तर (Technical Outlook)

संकेतक मूल्य (₹) व्याख्या
सपोर्ट-1 88.40 यहां से नीचे जाने पर रुपये में मजबूती का संकेत
सपोर्ट-2 87.70 संभावित लोअर रेंज
रजिस्टेंस-1 88.70 फिलहाल मार्केट रुकावट यहीं है
रजिस्टेंस-2 88.80 इस स्तर के ऊपर डॉलर फिर हावी हो सकता है

मार्केट एनालिसिस (Expert View)

“फिलहाल विदेशी मुद्रा बाजार एक प्रतीक्षा चरण में है. डॉलर की मजबूती, अमेरिकी आर्थिक डेटा और फेडरल रिजर्व की संभावित दर कटौती, ये सभी कारक आने वाले हफ्तों में रुपये की दिशा तय करेंगे.” अभिषेक गोयल, सीनियर करेंसी एनालिस्ट

रुपया फिलहाल चौकन्ना, निवेशकों को इंतज़ार करना होगा

भारतीय रुपया इस समय सीमित दायरे में है, जहां ऊपर डॉलर का दबाव और नीचे तकनीकी सपोर्ट दोनों मौजूद हैं. निकट भविष्य में किसी बड़े सुधार की संभावना तभी बनेगी जब अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में गिरावट या वैश्विक तेल कीमतों में स्थिरता आए. दूसरे शब्दों में रुपये की अगली चाल बाजार की खबरों से नहीं, बल्कि अमेरिकी फेड के बयानों से तय होगी.