कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के एक आदेश को खारिज करते हुए पीड़ित को पेंशन चालू करने और 30 दिन के अंदर सारे भुगतान चालू करने के निर्देश दिए हैं। दरअसल रानी दुर्गा विश्वविद्यालय ने नियमों से खिलवाड़ करते हुए एक रिटायर्ड प्रोफेसर कि ना केवल पेंशन रोकी थी बल्कि उसके सारे भत्ते और ग्रेजुएट फंड पर भी रोक लगा दी थी। विश्वविद्यालय ने पीड़ित प्रोफेसर के फंड पर यह कहते हुए रोक लगाई थी कि 2003 में उनके खिलाफ एक मामला चल रहा है।
कोर्ट में विश्वविद्यालय के आदेश की उड़ी धज्जियां
हाई कोर्ट में मामले की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज दुबे ने बताया कि, विश्वविद्यालय ने यह सारे नियम कायदे को ताक पर रखकर फरमान जारी किया है। पंकज दुबे ने बताया कि याचिकाकर्ता वाई के बंसल 2019 में ही रिटायर हो चुके हैं और विश्वविद्यालय ने उनके रिटायरमेंट होने के बाद उनकी पेंशन और फंड पर यह कहते हुए रोक लगा दी की 2003 में उनके खिलाफ एक आपराधिक मामला लंबित है।
पंकज दुबे ने कोर्ट को बताया कि सेवानिवृत्ति के नियम में इस बात का साफ उल्लेख है कि, किसी भी कर्मचारी के रिटायरमेंट होने के बाद इस तरह के कोई भी फैसला विश्वविद्यालय प्रबंधन नहीं ले सकता। इसके साथ ही अधिवक्ता पंकज दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के बहुत सारे रेफरेंस भी दिए जिसमें इस तरह के कोई नियम रिटायर्ड कर्मचारियों पर लागू नहीं होते। जिस के बाद हाईकोर्ट ने सारे मामले की सुनवाई करते हुए न केवल विश्वविद्यालय के आदेश को खारिज कर दिया बल्कि भविष्य में इस तरह की पुण्यतिथि ना होने की निर्देश दिए।
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