पी रंजन दास, बीजापुर। कभी प्रदेश के अति पिछड़े जिलों में शुमार बीजापुर समय के साथ विकास के नये आयाम को छू रहा है. माओवाद का पलड़ा कमजोर पड़ने के साथ जिले में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का तेजी से उन्नयन हुआ है. इसकी बानगी जिला अस्पताल पहुंचकर देखी जा सकती है, जो बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए नया कीर्तिमान स्थापित करने को तैयार है. बीते साल के भीतर जिला अस्पताल में ऐसे दर्जनों मेगा सर्जरी हो चुकी है, जिसकी कल्पना बीजापुर वासियों ने कभी की ही ना हो.

विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा यहां तीन सालों के भीतर लैपरोटॉमी से लेकर कैटरेक्ट यानी मोतियाबिंद, लेप्रोस्कोपी, सिजेरियन सेक्शन यानी शल्य प्रसव परिच्छेद के तहत् सफर ऑपरेशन किया जा चुका है. जिला चिकित्सालय में इस समय सर्जरी, मेडिसीन, ईएनटी, ऑर्थो, पीडियाट्रिक, जिनकोलॉय, ऑप्थेलॉजी, पैथॉलॉजी, एनिसथिसिया के विशेषज्ञ पदस्थ है, और इन विशेषज्ञ चिकित्सकों के जरिए दीगर शल्य चिकित्सा नक्सल प्रभावित इलाके में मुमकिन हो पा रही है.

सिविल सर्जन डॉ अभय तोमर का कहना है कि पिछले तीन साल में जनरल सर्जरी के तीन हजार सफल ऑपरेशन हुए हैं, इसी तरह ऑर्थो के लगभग साढ़े छह सौ, 1200 मोतियाबिंद के अलावा 600 के करीब सिजेरियन सेक्शन के जरिए सफल प्रसव कराया जा चुका है. विशेषज्ञ चिकित्सकों के रिक्त पदों पर नियुक्तियों का परिणाम है कि जिलेवासियों को दीगर इलाज की सुविधाओं के लिए जिले से बाहर बड़े शहरों का रूख नहीं करना पड़ रहा है.

बता दें कि माओवाद प्रभावित बीजापुर जिले में विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में गंभीर मरीजों को पहले सीमावर्ती तेलंगाना राज्य के अलावा राजधानी रायपुर का रूख करना पड़ता था, जिसमें इलाज का बजट भी बड़ा होता था. लेकिन बीते तीन सालों में जिला चिकित्सालय में जिस तेजी से चिकित्सीय सुविधाओं का विस्तार हुआ, उससे जिलेवासियों में अब एक नई उम्मीद बंधती नजर आ रही है. इसके अलावा नक्सली हमलों में घायल जवानों के लिए भी यह एक बड़ी सहूलियत है कि आपात स्थिति में गंभीर घायल जवानों का क्विक मोड पर बेहतर इलाज संभव हो पा रहा है.

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