दुष्यंत मिश्रा, बालाघाट। मध्यप्रदेष के बालाघाट जिले से स्वास्थ्य विभाग का आइना और मानवता को झकझोर कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां आर्थिक अभाव से जूझते एक बेटा अपनी मां को हथठेले पर लिटाकर अस्पतला ले जाने लगा। इसकी भनक न तो स्वास्थ्य विभाग को लगी और न ही प्रशासन को। स्थानीय पत्रकारों ने इसकी जानकारी जब एसडीएम को दी, तब प्रशासन होश में आया। आनन-फानन में एम्बुलेंस को भेजा गया। इसके बाद एम्बुलेंस की सहायत से बीमरा महिला को अस्पताल लाकर भर्ती कराया गया, जहां उसकी इलाज जारी है। मामला कटंगी के गोंडी मोहल्ले का है।

दरअसल गोंडी मोहल्ला कटंगी निवासी महेन्द्र गिरी मानसिक रूप से और आर्थिक रूप से कमजोर है । युवक अपनी माँ मीनाबाई गिरी के साथ गंज चौक में रहता है। मंगलवा को अचानक मीनाबाई की तबीयत बिगड़ गई। बीमार मां को गाड़ी से अस्पताल ले जाने के लिए युवक के पास पैसे नहीं थे। युवक अपनी बीमार मां को हथठेले पर लिटाकर अस्पताल ले जाने लगा।

इस दौरान दौड़कर अपनी मां की जान बचाने के लिए अस्पताल की ओर जाते दिखा। हालांकि इस दौरान लोगों की असंवेदनशीलता का नजारा देखने मिला। उस युवक की मदद करने कोई भी सामने नहीं आया।

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स्थानीय पत्रकारों ने एसडीएम को दी जानकारी
स्थानीय पत्रकारों की नजर युवक पर पड़ी। माजरा जानने के बाद इसकी जानकारी एसडीएम रोहित बम्होरे को दी। एसडीएम ने मानवता का परिचय देते हुए अपना वाहन पीड़िता को अस्पताल पहुंचाने के लिए भेजा । पीड़िता की हालत अत्यधिक खराब होने की वजह से वह वाहन में नहीं बैठ पाई। इसके बाद एसडीएम के दखल देने पर सरकारी अस्पताल से एंबुलेस पीड़िता को लेने के लिए रवाना हुई।सिनेमा चौक के पास से पीड़िता को वाहन में लेकर अस्पताल पहुंची, जहां उसका उपचार चल रहा है।

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 एक महीने से एम्बुलेंस नहीं
गौरतलब है कि शहर के सरकारी अस्पताल में करीब एक महीने से 108 एंबुलेस नहीं है। वहीं जनप्रतिनिधि और विभाग के अफसरों का इस ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं है। पूरे मामले पर बालाघाट सीएमएचओ डॉ. मनोज पांडे ने बताया कि उन्होंने बीएमओ कटंगी से इसकी जानकारी ली तो पता चला कि युवक या अन्य किसी कर द्वारा एम्बुलेंस के लिए फोन नहीं किया था । जब कोई फोन अथवा अन्य साधन की सूचना नहीं देगा तो एम्बुलेंस जाएगी कैसे।

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