कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आज पीएससी (PSC) परीक्षा नियमों की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. मामले में कोर्ट ने राज्य शासन को डाटा पेश करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही पीएससी को भर्ती में दिए गए आरक्षण के प्रतिशत को स्पष्ट करने को कहा है.
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मामले में सुनवाई के दौरान OBC आवेदकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट इंद्रा जय सिंह पैरवी के लिए आगे आई हैं. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तनखा ने पक्ष रखा. बहस के दौरान हाईकोर्ट ने आरक्षित वर्ग को मेरिट के आधार पर अनारक्षित वर्ग में चयन से रोकने वाले नियमों को असंवैधानिक बताया है.
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बता दें कि मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा नवम्बर 2019 के राज्य सेवा एवं वन सेवा में रिक्त पदों की पूर्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था. प्रारंभिक परीक्षा जनवरी 2020 में आयोजित की गई और 21 दिसंबर 2020 को संशोधित नियमानुसार रिजल्ट जारी किया गया. जिसमें पीएससी द्वारा 113 फीसद आरक्षण लागू किया गया व अनारक्षित वर्ग में सिर्फ अनारक्षित वर्ग के आवेदकों को ही रखा गया.
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याचिका के जरिए एमपी राज्य परीक्षा नियम 2015 में 17 फरवरी 2020 को किए गए संशोधन की संवैधानिकता सहित पीएससी परीक्षा 2019 को निरस्त करने की राहत मांगी गई है. मामले में SC-ST, OBC और EWS के 70 छात्रों की ओर से 9 याचिकाएं दाखिल की गई हैं. शेष याचिकाएं ग्वालियर हाई कोर्ट से जबलपुर स्थानांतरित हुई हैं. याचिकाओं की कुल संख्या 45 है.
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