मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने मदरसा एक्ट का समर्थन किया है. यूपी सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने दलील दी कि मदरसा एक्ट के केवल उन प्रावधानों की समीक्षा होनी चाहिए जो मौलिक अधिकारों के खिलाफ हैं, एक्ट को पूरी तरह खारिज करना उचित नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई ने पूछा कि क्या मदरसे के बच्चे NEET दे सकते हैं? इस पर यूपी सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने जवाब दिया कि इसके लिए छात्रों को फिजिक्स, कैमेस्ट्री, बायोलॉजी में पास होना आवश्यक है.
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यूपी सरकार के वकील ASG के.एम. नटराजन ने कहा कि यूपी मदरसा ऐक्ट कानून को पूरी तरह से रद्द करना गलत होगा. ये विधायी शक्ति का मामला नहीं है, बल्कि मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का मामला है. जिसके लिए पूरे कानून को रद्द करने की जरूरत नहीं है. यूपी सरकार ने कहा कि ऐक्ट के केवल उन्ही प्रावधानों का परीक्षण किया जाना चाहिए जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. सरकारी आदेश के तहत मदरसा स्कूलों को अन्य स्कूलों के ही समान माना गया है.
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