वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। आरक्षण को लेकर राज्यपाल सचिवालय को दी गई नोटिस की वैधानिकता को लेकर हो रही सुनवाई के पूरा होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. इसके अलावा आरक्षण विधेयक बिल पास नहीं करने पर आदिवासी नेता की ओर से हाई कोर्ट में लगाई गई दूसरी याचिका पर 1 मार्च को सुनवाई होगी. इसे भी पढ़ें : कांग्रेस महाधिवेशन का दूसरा दिन : राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे ने कहा – देश में लोकतंत्र को खत्म करने की हो रही कोशिश, राहुल गांधी की यात्रा ने दी नई रोशनी

दरअसल, आरक्षण विधेयक बिल को राजभवन में रोके जाने को लेकर राज्य शासन ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है, जिसमें राज्यपाल पर अपने संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग आरोप लगाया गया है. याचिका में कहा गया है कि विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद राज्यपाल सिर्फ सहमति या असहमति दे सकते हैं, लेकिन बिना किसी वजह के बिल को लंबे समय तक रोका नहीं जा सकता.

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मामले में सुनवाई के दौरान राजभवन को नोटिस जारी हुआ, तो राज्यपाल सचिवालय की तरफ से हाईकोर्ट में आवेदन पेश किया गया है, जिसमें राजभवन को पक्षकार बनाने और हाईकोर्ट की नोटिस को चुनौती दी गई है. राज्यपाल सचिवालय की तरफ से पूर्व असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल और सीबीआई व एनआईए के विशेष लोक अभियोजक बी गोपा कुमार ने तर्क देते दिया है कि संविधान की अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल किसी भी न्यायालय में जवाबदेह नहीं है.

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