दुर्ग। जिले में राष्ट्रीय पोषण माह-2020 के तहत `सही पोषण-छत्तीसगढ रोशन’ थीम पर महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 1 सितंबर से 30 सितंबर तक पोषण जागरुकता माह मनाया जा रहा है।

पोषण माह के आयोजन में कोविड-19 के निर्देशों को पालन करते हुए लोगों को सोशल डिसटेंसिंग का महत्व व सही पोषण से शरीर में होने वाले प्रतिरोधक क्षमता के प्रति जागरुकता लाने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन आंगनबाड़ी केंद्र स्तर पर किया जा रहा हैं।

कार्यकम पोषण माह के अन्तर्गत जिला कार्यकम अधिकारी विपिन जैन एवं पर्यवेक्षक उषा झा के मार्गदर्शन में किया गया। एकीकृत बाल विकास परियोजना भिलाई के तीनदर्शन परिक्षेत्र के तीनदर्शन एवं शास्त्रीनगर-1 के आंगनबाड़ी केंद्रों में आज 6 माह से 6 वर्ष के बच्चे गर्भवती, शिशुवती, किशोरी बालिकाओं का एनिमिया मुक्त छत्तीसगढ बनाने के लिए हिमोग्लोबिन टेस्ट करवाया गया। महिला पर्यवेक्षक ऊषा झा ने बताया एनिमिया जांच दोनों आंगनबाड़ी केन्द्रों में 80 बच्चे, 25 गर्भवती महिलाओं, 12 शिशुवती माताओं और 8 किशोरी बालिकाओं का टेस्ट किया गया। जांच रिपोर्ट में 3 बच्चे, 1 गर्भवती, 1 शिशुवती और 2 किशोरी बालिकाओं में खून की कमी पायी गयी।

स्वास्थ्य कार्यकर्ता यानी एएनएम सरोज साहू द्वारा स्वास्थ्य जांच में सहयोग प्रदान किया गया एवं हिमोग्लोबिन टेस्ट किया गया। आंगनबाडी कार्यकर्ता द्वारा तबस्यूम एवं सविता डकोरे एवं सहायिका प्यारी बाई एवं रूखमणी चन्द्राकर, रंजना बडगे द्वारा उपस्थित लोगों को समझा गया की भोजन में पोषकत्तवों की कमी से महिलाओं व बच्चों में एनिमिया की समस्या को लेकर जानकारियां दी गई ।

महिला पर्यवेक्षक ऊषा झा ने बताया खानपान में सही पोषण से ही एनिमिया मिटेगा। उन्होंने कहा शरीर में पोषक तत्वों की कमी का असर लंबाई, वजन, कमजोरी और दुर्बलता के रूप में सामने आता है। थकान, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द होना एनीमिया के सामान्य लक्षण हैं। जब दैनिक आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स, वसा और खनिज जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते हैं, तब धीरे-धीरे खून की कमी होने लगती हैं। इससे बचाव के लिए भोजन की थाली को सतरंगी बनाना ज़रूरी है। महिला पर्यवेक्षक का कहना है जब शिशु, किशोरी, गर्भवती महिला व शिशुवती माता सुपोषित होगा तभी स्वस्थ्य समाज की परिकल्पना साकार होगा।