दिल्ली. कोरोना से पीड़ित एक पत्रकार अजय झा की व्यथा ने दिल्ली के स्वास्थ्य सेवाओं के बड़े-बड़े दावे की पोल खोल दी थी.अब एक पूर्व पत्रकार ने भी कोरोना काल में अपनी दर्दनाक व्यथा बयान की है. दिल्ली के स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में काम कर चुकी प्रीति गोयल ने एक चिट्ठी लल्लूराम डॉट कॉम को भेजी है. जिसमें उन्होंने अपनी आप बीती लिखी है.

चिट्ठी में प्रीति गोयल ने जो आपबीती बताई है, उसे सुनकर किसी की भी रुह कांप जाए. मां की मौत के मातम के बीच भाईयों की कोरोना संक्रमित होने और उनकी रिपोर्ट न आने पर दहशत के जिस दौर से प्रीति गुज़री है. वो बहुत ही भयावह है.

दरअसल, प्रीति की मां की मौत 2 जून को कोरोना से हो गई. जिस दिन मां का अंतिम संस्कार होना था, उस दिन छोटे भाई की तबियत बिगड़ गई. सांस लेने में दिक्कत और बुखार के बाद उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. दूसरे भाई की हालत मां की अंतिम यात्रा के दौरान बिगड़ने लगी. इसी दौरान बड़े भाई की हालत भी खराब होने लगी. बड़ा भाई मां का अंतिम संस्कार करके सीधा अस्पताल जाकर भर्ती हुआ.

प्रीति को खुद घर में कोरेंटाइन होना पड़ा. बच्चे नीचे के फ्लोर में दादी के साथ थे और वो ऊपर. इस हालत में एक-एक पल काटना मुश्किल हो गया था. प्रीति ने सुना था कि घर में कोरोना होने पर सभी सदस्यों की जांच होती है. लेकिन उनके घर कोई नहीं आया.

प्रीति ने अपनी मां उस को खो दिया था. जिसके साथ कुछ दिन पहले तक वो हंसते- मुस्कुराते अपनी फोटो शेयर करती थी. उसे समझ नहीं आता कि वो मां की मौत पर रोए या भाईयों को लेकर आशंकित हो या फिर बच्चों की चिंता में डूबे. प्रीति बताती है कि इस बेहद ग़मज़दा मौके पर उसे छोटे भाई की बिगड़ती हालत की खबर मिलती. एक दिन पता चला कि उसे ऑक्सीजन चढ़ाना पड़ा है. प्रीति कहती है कि उस वक्त की अपनी मानसिक स्थिति बयान नहीं कर सकती है.

प्रीति के परिवार की हालत ने केंद्र और राज्य सरकार के दावों की पोल खोल दी. भाईयों को ऑक्सीजन दिया जा रहा था लेकिन कोरोना की रिपोर्ट नहीं आई. ये रिपोर्ट तब तक नहीं आई जब तक भाई ठीक होकर घर तक नहीं आ गया.

गौरतलब है कि ये हाल उन लोगों का है जो निजी अस्पताल में भर्ती है. प्रीति ने बताया कि उनकी मां की मौत हुई तभी से उनके भाईयों की तबियत बिगड़ने लगी थी. एक भाई मां की रिपोर्ट के आते ही बिगड़ती हालत में अस्पताल पहुंचा. दूसरे भाई ने पहले अपने लिए प्राइवेट अस्पताल में भर्ती की पर्ची कटाई .इसके बाद वो अंतिम संस्कार करके श्मशान से अस्पताल पहुंचा.

प्रीति की चिट्ठी

2 जून परिवार को मेरी माता जी ने कोरोना की चपेट में आकर दम तोड़ दिया.  पुरानी दिल्ली सदर बाजार में रहने वाली मैं प्रीती गोयल अपने बीते पल आप सबके समक्ष रख रही हूँ.

मेरी माता जी (पुष्पा गोयल) उम्र 62 वर्ष अब हम लोगो के बीच नही रही. 2 जून सुबह 5 बजे माता जी को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. तभी घर के अन्य सदस्यों दो बेटे- बहू द्वारा निबोलाइज़र दिया गया. कुछ समय के लिए माता जी को आराम आ गया था. लेकिन अगले कुछ ही घंटों में मम्मी को फिर से सांस लेने में तकलीफ शुरु हो गई. दोनो भाई नरेंद्र और अमित घर के पास में स्थित बी.एल अस्पताल मां को लेकर जा ही रहे थे कि ट्रैफिक जाम में मां की सांसों की डोर टूट गई. अस्पताल पहुंचने के बाद डाक्टर्स ने मां को मृत घोषित कर दिया. और फिर अस्पताल ने कोरोना टेस्ट करवाने के लिए पैसे जमा करवाने को कहा.

मृत शरीर के साथ उसी कमरे में कोरोना संक्रमित लोग मौजूद रहे. समझ ही नही आ रहा था कि हो क्या रहा है ? 48 घँटे बाद 4 जून को मम्मी की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई. अस्पताल द्वारा बड़े भाई को उनकी मां के अंतिम संस्कार में आने का फोन आया. घर में मातम का माहौल छा गया. बड़े भाई को भी उस वक्त बुखार आ गया. छोटे भाई को बुखार आने पर परिवार वाले एडमिट करा चुके थे. बड़ा भाई सांसो को थामे अस्पताल से शमशान की ओर अकेला ही चला. वही दूसरी ओर छोटा भाई अपनी बीमारी से लड़ता अस्पताल में भर्ती था. उसकी हालत नाजुक होती जा रही थी.

माँ की अन्तिम विदाई के काफिले में एक ही भाई शरीक हुआ. घर में मौजूद दोनो भाभियों समेत 4 छोटे-छोटे बच्चे थे. किसी के पास बोलने को शब्द नहीं समझने को दिमाग नहीं. ऐसे हालात घर के हो गए.अमित के बाद नरेंद्र को आकाश हेल्थकेयर में भर्ती करवाया गया. डॉक्टरों ने रिपोर्ट का इंतज़ार नहीं किया बल्कि कोरोना का इलाज शुरु कर दिया.

समय बहुत कठिन था. घर में किसी बड़े का साया नहीं था. भाभियों समेत बच्चे भी आंसू बहा रहे थे. लेकिन सरकार अपने झूठे वादों को अखबार और टीवी पर चमका रही थी. सरकार द्वारा यही वादा इन दिनों किया जा रहा है कि परिवार के किसी सदस्य को कोरोना पाज़िटिव पाया जाता है तो घर के अन्य लोगों का टेस्ट कराया जाएगा. लेकिन हमारे घर का उदाहरण सरकार के वादों की पोल खोलने के लिए काफी है.

हमारे घर में दो-दो भाई अस्पताल से पहले ठीक होकर घर आ गए. कोरोना की रिपोर्ट उसके बाद आई. छोटा भाई 8 जून को ठीक होकर डिस्चार्ज हुआ लेकिन उसकी रिपोर्ट 9 को आई. 9 को ही बड़े भाई की रिपोर्ट आई. लेकिन तब तक वो भी ठीक हो चुका था. ये स्थिति आज पूरी दिल्ली की है. हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. आम जनता के पास आंसूओं के अलावा कुछ नहीं है.

घर आने के बाद दोनों भाई कोरेंटाइन हैं. वे अब स्वस्थ्य हैं. उन्होंने ये भी कहा कि कुछ लोग ये अफवाह भी फैला रहे हैं कि परिवार में एक को कोरोना होगा तो सबको होगा. जो पूरी तरह से गलत है. जून के महीने में हमारे घर पर जो विपदा आई है भगवान न करे कभी किसी को उससे गुज़रना पड़े.

प्रीति