रायपुर. सुप्रीम कॉर्ट के आदेश के तहत जिसने बिलासपुर हाई कॉर्ट के फैसले पर स्टे लगा हिदायतुल्ला नेशनल लॉ कॉलेज के कुलपति सुखपाल सिंह के निराकरण को स्थगित कर दिया, आज सुबह 11 बजे सुखपाल सिंह ने अपना भार संभाला. फैसले के बाद विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने जमकर विरोध किए. सुखपाल सिंह ने स्टूडेंट बॉडी के पद अधिकारियों के साथ बैठ कर चर्चा करने का प्रस्ताव रखा, जिसे ठुकराते हुए छात्रों ने मंगा कि चर्चा विश्विद्यालय के हर एक छात्र के समक्ष की जाए. मंगलवार को 4 बजे से शुरू हुई यह चर्चा 6 बजे तक चली. बैठक में स्टूडेंट यूनियन ने 10 मुद्दों पर सुखपाल सिंह से जवाब मांगा. जिसका उन्हें कोई ठोस जवाब नहीं मिला.

स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष स्नेहल रंजन शुक्ला और उपाध्यक्ष स्वाति भार्गव ने सभी छात्रों कि बातें आगे रखते हुए, सबसे पहले सुखपाल सिंह से इस बात पर सफाई मांगी की बीते महीने 60 छात्रों के द्वारा जमा की गई एक यौन शोषण कि शिकायत के खिलाफ कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गयी. इस पर सुखपाल सिंह ने कहा कि वे अपने निजी पारिवारिक समस्याओं से घिरे हुए थे. उन्होंने बताया कि उनके साडू साहब कि तबीयत खराब होने के कारण वे इस मामले पर कोई कदम नहीं उठा पाय. इस बात से असहमति दिखाने पर उन्होंने छात्रों को फटकार लगाते हुए कहा कि वे कुलपति के साथ एक इंसान है और उनके पारिवारिक मामलों कि वजह से वे व्यस्त रहे.

दूसरा मुद्दा वित्त मामलो में असतीर्थता से संभित था. छात्रों ने आरोप लगाया कि अंतरिम कुलपति आरएस शर्मा ने अपने एक हफ्ते के कार्यकाल में छात्रों कि मूट फंडिंग कि समस्या का सावधान दे दिया था. किंतु सुखपाल सिंह ने 1 साल तक नही किया, इस पर सुखपाल सिंह कहे कि शर्मा सरकार कि ओर से थे. सुखपाल सिंह ने कहा कि उनके बार बार निवेदन करने के बावजूद सरकार फण्ड नहीं दे रही थी. जबकि शर्मा ने छात्रों को बताया था कि सरकार लगातार फण्ड ज़ारी करती है. सुखपाल सिंह ने शर्मा कि इस बात को झुटलाया.

अकैडमिक तथा फिनांशल नियमों में झोल झाल के बारे में पूछे जाने पर सुखपाल सिंह ने कहा कि ज़रूर कोई न कोई वजह रही हुई होगी. जिसकी वजह से तमाम कार्य स्थागित होते रहे. विश्विद्यालय में केवल 30 अध्यापकों के होने से अप्पति जताई जाने तथा और अध्यापकों को नियुक्त न किये जाने कि वजह पूछने पर उन्होंने कहा कि इस पूरे दौरान उन्हें कोई भी लायक कैंडिडेट नहीं मिला जिन्हें वे बतौर अध्यापक नियुक्त कर सके.

विश्विद्यालय में पढ़ रही एक दिव्यांग छात्रा, जो कि दृष्टिगत रूप से दुर्बल हैं, ने अपने हक़ कि मांग की। उसने बताया कि कैसे अन्य लॉ कॉलेज में स्कैनर, ब्रेल बुक आदि का इंतज़ाम किया जाता है किंतु इस विश्वविद्यालय में उसे इस रूप कि कोई सहायता नहीं मिली। इसी प्रकार मेस टेंडर, इंटरनल क़्वालिटी अस्सुरांस कमेटी की  स्थापना , भ्रष्टाचार आदि मामलों पर प्रश्न किये जाने पर सुखपाल सिंह ने बातों को घूमाते हुए कोई ठोस जवाब नहीं दिया।

छात्रों ने सारे ऑडिट रिपोर्ट को वेबसाइट पर डालने की मांग कि जो सुखपाल सिंह ने ठुकरा दी.

परेशान होकर छात्रों ने सुखपाल सिंह के खिलाफ़ नो कॉन्फिडेंस मोशन जारी किया। 800 छात्रों के द्वारा हस्ताक्षर किया हुआ पत्र, सुखपाल सिंह को सौंपा गया जिसके साथ छात्रों ने कुलपति के इस्तीफा कि आखरी मांग। सुखपाल सिंह ने साफ मन करते हुए हॉल से प्रस्थान कर लिया। छात्रों ने आखरी उपाय के रूप में तब तक धरने पर बैठने का ऐलान किया जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती।