वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। हाईकोर्ट ने बिलासपुर के एक स्कूल परिसर में हुए हादसे में 3 साल की बच्ची मुस्कान की मौत के मामले में परिजन को सरकार की तरफ से 2 लाख रुपये मुआवजा दिए जाने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश विभु दत्त गुरु की बैंच में मंगलवार को सुनवाई हुई।

सुनवाई में शासन का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत में बताया कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए आरोपी डीजे संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। वहीं भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के माध्यम से परिजन को दुर्भाग्यवस हुई इस घटना के लिए ₹50000 की राशि दी गई है। इस तरह की घटना दोबारा ना हो इसके लिए कलेक्टर ने दिशानिर्देश भी जारी किया है। जिस पर मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने घटना की गंभीरता को देखते हुए शासन को परिवार की इस मानवीय क्षति के लिए मदद राशि ₹2 लाख और देने का आदेश सुनाया है। इस मामले को आगे की निगरानी के लिए 9 अक्टूबर 2025 को पुनः सूचीबद्ध किया है।

बता दें कि बीते 14 अगस्त की सुबह तीन साल की मुस्कान महिलांगे तालापारा घोड़ादाना स्कूल परिसर में बने आंगनबाड़ी के आसपास में बच्चों के साथ खेल रही थी। तभी डीजे संचालक रोहित देवांगन द्वारा लापरवाही से दीवार पर टिकाकर रखे गए लोहे के पाइपों में से एक अचानक उसके सिर पर गिर गया। उसे इलाज के लिए अस्पताल भर्ती किया गया, जहां उसकी मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी डीजे संचालक रोहित देवांगन और एक अन्य के खिलाफ बीएनएस की धारा 106, 3(5) के तहत अपराध दर्ज किया है। रोहित स्कूल चौकीदार का पोता है और परिसर के भीतर ही सामान रखता था। इस मामले को स्वत: संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने सुनवाई शुरू की।

कोर्ट ने कलेक्टर से मांगी गई रिपोर्ट के साथ-साथ शासन को पीड़ित परिवार की सहायता दिए जाने पर शपथ पत्र में जवाब भी मांगा था, जिसे मंगलवार को पेश किया गया। मंगलवार को हुई सुनवाई में न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह मृतक बच्चे के माता-पिता को आज से एक महीने के भीतर पहले से भुगतान की गई राशि के अतिरिक्त 2,00,000/- रुपये का अतिरिक्त मुआवजा स्वीकृत और वितरित करे। जिला मजिस्ट्रेट, बिलासपुर यह सुनिश्चित करेंगे कि अतिरिक्त राशि 2,00,000/- की राशि मृतक नाबालिग लड़की के माता-पिता को वितरित की जाती है, जैसा कि ऊपर आदेश दिया गया है और वह इस संबंध में इस न्यायालय के समक्ष एक हलफनामा/अनुपालन रिपोर्ट भी दाखिल करेगा।

वहीं न्यायालय ने कहा यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ सरकार और सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, सभी जिला अधिकारियों को स्कूलों और आंगनबाड़ी परिसरों में और उसके आसपास कड़ी निगरानी रखने के लिए उचित निर्देश जारी करने के लिए स्वतंत्र होंगे, ताकि उनके परिसर में कोई खतरनाक सामग्री या अनधिकृत वस्तुएँ संग्रहीत न हों जो वहाँ काम करने वाले कर्मचारियों या बच्चों के जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं।