लखनऊ. पति-पत्नी को नौकरी में एक ही जगह तैनाती देने को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया है. पति-पत्नी को एक ही जगह तैनाती की मांग को लेकर दायर की गई याचिकाओं को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि यह अधिकार की श्रेणी में नहीं आता है.

अदालत ने कहा कि संबंधित विभाग इस पर विचार कर सकता है, लेकिन ये जरूरी नहीं है कि हर स्थिति में दोनों को एक ही जगह पर तैनाती दी जाए. हाईकोर्ट ने यह फैसला बेसिक शिक्षा विभाग में तैनाती की याचिकाओं को लेकर सुनाया था. कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग की ट्रांसफर नीति में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया.

इसे भी पढ़ें –इंसानियत शर्मसार : बच्चे को रस्सी से बांधकर बेरहमी से पीटा, लोग देखते रहे तमाशा, Video हो रहा वायरल

हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की सिंगल बेंच के सामने उत्तर प्रदेश के कई सहायक अध्यापकों की ओर से याचिकाएं दाखिल की गई. कोर्ट ने 36 याचिकाओं पर फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिकाओं में कहा गया कि उनके साथी (पति या पत्नी) एनएचपीसी, भेल, इंटरमीडिएट कॉलेजों, राष्ट्रीयकृत बैंकों, एलआईसी, विद्युत वितरण निगमों, पॉवर कॉर्पोरेशन व बाल विकास परियोजना इत्यादि पब्लिक सेक्टर्स में तैनात हैं. ऐसे में उनकी तैनाती अलग-अलग जिले में होने के कारण उन्हें अलग रहना पड़ता है.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 2 जून 2023 को सरकार की ओर से एक शासनादेश जारी किया गया. इसमें अगर किसी की पत्नी या पति सरकारी नौकरी में है तो उसके अन्तर्जनपदीय तबादले के लिए दस प्वाइंट्स देने की व्यवस्था की गई. हालांकि इसके बाद 16 जून 2023 को एक और शासनादेश जारी कर यह स्पष्ट किया गया कि सरकारी सेवा में उन्हीं कर्मचारियों को तैनात माना जाएगा जो संविधान के अनुच्छेद 309 के परंतुक के अधीन हैं. याचिकाकर्ताओं ने इसी व्यवस्था को चुनौती दी है.

छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक 
मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
दिल्ली की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
English में खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक