बिलासपुर। कोरोना काल में मदद की आस लगाए वकीलों की याचिका पर मंगलवार को उच्च न्यायालय के डिवीज़न बेंच मुख्यनायधिपति जस्टिस पीआर मेनन और जस्टिस पीपी साहू ने सुनवाई की. सभी पक्षों को सुनने के बाद बार कौंसिल को 2 हफ्ते के भीतर ट्रस्टी कमेटी के साथ बैठक करके धारा 15 अधिवक्ता कल्याण अधिनियम 1982 के तहत योजना बनाने के साथ अधिवक्ता कल्याण का पैसा जरुरतमंद वकीलों को प्रदान करें. यही नहीं याचिकाकर्ता की योजना पर विचार करे. इसके साथ राज्य को भी जानकारी देने को कहा है.

राजेश केशरवानी, आनंद मोहन तिवारी की जनहित याचिका की मंगलवार को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई ही. याचिकाकर्ता की तरफ से संदीप दुबे और स्टेट बार कौंसिल की तरफ से सौरभ पांडेय उपस्थित हुए. न्यायालय ने स्टेट बार कौंसिल के अधिवक्ता से पूछा कि पिछले आर्डर के परिपालन में क्या किए. अधिवक्ता ने बताया कि 6 जुलाई से कुछ दिनों के लिए हाई कोर्ट का बैंक बंद होने के कारण, सामान्य निधि में जमा फिक्स डिपाजिट को तुड़वा नहीं पाने की वजह से 20 प्रतिशत राशि वकीलों को जारी नहीं की जा सकी. उन्होंने बताया कि 300 के करीब वकीलों को सहायता और दी गई है, वहीं 79 बार एसोसिएशन से सुझाव मांगे गए हैं.

याचिकर्ता के वकील संदीप दुबे ने पुनः न्यायालय को अवगत करवाया की स्टेट बार कौंसिल ने अभी तक अधिवक्ता कल्याण समिति की बैठक कर सहमति नहीं दी है, जहां पर वकीलों द्वारा ख़रीदे जाने वाले टिकट का करीब 4 करोड़ जमा है, जबकि अधिवक्ता कल्याण अधिनियम 1982 की धारा 15 के अनुसार ट्रस्टी कमेटी को बार कौंसिल से मिलकर ऐसे संकट के समय वकीली की मदद के लिए नियम बनाना है, आज 20 साल से नियम नहीं बनाई गई, बिना नियम के पैसे बांट रहे हैं, जबकि मध्यप्रदेश में यह नियम बनाई गई हैय स्टेट बार को ऐसे समय में ट्रस्टी कमेटी के साथ मिलकर नियम बनाने चाहिए और ये 4 माह से बिना नियम के पैसे दे रहे हैं.

उन्होंने बताया कि पिछली बैठक में बार कौंसिल ने ट्रस्टी कमेटी को पैसा जारी नहीं करने कहा था, इसलिए अधिवक्ता कल्याण से राशि नहीं निकाल पा रही, जबकि ये कल्याण टिकट का पैसा है, वकीलों का पैसा है, बार कौंसिल के बैठक नहीं करने से राशि नहीं निकल पा रही है. आनंद मोहन ने कहा कि उन्होंने योजना बना कर बार कौंसिल और अधिवक्ता कल्याण कमेटी को दी है, उसे भी देखा जाए.  सुनवाई के पश्चात डिवीज़न बेंच जरूरतमंद अधिवक्ताओं की मदद के लिए कदम उठाते हुए 2 हफ्ते के भीतर ट्रस्टी कमेटी के साथ बैठक करें.