बिलासपुर। मधेश्वर प्रसाद मामले में शुक्रवार को उच्च न्यायालय में जस्टिस गौतम भादुरी की कोर्ट ने लोक सेवा आयोग एवं पीडब्लूडी को नोटिस जारी किया है। मधेश्वर प्रसाद ने अपने प्रमोशन सम्बंधित मामले में अधिवक्ता संदीप दुबे एवं शान्तम अवस्थी के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

बताया जा रहा है कि मधेश्वर को 2001-2002 के वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन में कूटरचना कर उन्हें प्रमोशन की दौड़ से बाहर कर उनके प्रमोशन में एक साल की देर कर दी गयी थी। मधेश्वर प्रसाद पी डब्लू डी विभाग में सब इंजीनियर से सहायक अभियंता के पद पर एडहॉक प्रमोशन 2003 में दिया गया, उसके बाद इसी पद में 2007 को रेगुलर किया गया। लेकिन रेगुलर उन्हें 2004 से किया गया जबकि वो 2003 से पात्र हैं, जिसके कारण वरिष्ठता प्रभावित हुई। 2007 में मिले इस प्रमोशन में देरी की वजह उन्हें आज तक साफ़ साफ़ नहीं बताई गयी है। मधेश्वर का कहना है कि उनके साथ यह छल कपट उनके ही एक समक्ष अधिकारी ने किया है जिसकी जानकारी शासन के अधिकारीयों को भी है.जिसके कारण उनको प्रमोशन 2003 की जगह 2004 से देने के कारण वरिष्ठता प्रभावित हुई है। राज्य सरकार ने 2012 में अपनी गलती माना और कहा भी की आदिवासी को विशेष छूट के तहत ग्रेड देने में छूट है और पीएससी को पत्र लिखकर पुनरावलोकन कर वरिष्ठता में सुधार को कहा फिर भी पीएससी ने कुछ भी कार्रवाई आज तक नही की इस पर सुनवाई करते हुए पीएससी को उच्च न्यायालय में नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।