कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने दूध और दूध से बने उत्पादों में हो रही मिलावट को लेकर सख्ती दिखाई है। अदातल ने मामले से जुड़ी जनहित याचिका के आदेश का पालन ना होने पर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए मुरैना जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि वह अपनी गोपनीय टीम बनाकर मिलावट करने वाले स्थानों पर औचक निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करे।

दरअसल, ग्वालियर हाईकोर्ट खंडपीठ में दूध और दूध से बने उत्पादों में हो रही मिलावट को रोकने के लिए एक जनहित याचिका अधिवक्ता उमेश बौहरे ने दायर की थी, जिस पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने मुरैना सहित प्रदेश भर के कलेक्टर को निर्देश दिए थे कि वह मिलावट से जुड़े हुए काले कारोबार पर तत्काल एक्शन लें।शहर के प्रवेश द्वार पर चेकिंग कराई जाए और इसकी रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत की जाए, लेकिन लंबे वक्त बीतने के बाद भी जब कोई एक्शन नहीं लिया गया और रिपोर्ट भी न्यायालय में प्रस्तुत नहीं की गई तो ऐसी स्थिति में याचिकाकर्ता अधिवक्ता उमेश बौहरे ने अवमानना याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई के दौरान मुरैना कलेक्टर को न्यायालय में हाजिर होने का आदेश हुआ। न्यायालय में हाजिर हुए मुरैना कलेक्टर को सख्त लहजे में कोर्ट ने कहा कि मिलावट के लिए मुरैना जिला बदनाम हो चुका है। इस छवि को बदलने की जरूरत है, क्योंकि यहां से मिलावटी खाद सामग्री देशभर में भेजी जा रही है। ऐसे में अफसरों की गोपनीय टीम बनाकर ऐसे ठिकानों का औचक निरीक्षण किया जाए और इसकी रिपोर्ट प्रशासन न्यायालय में प्रस्तुत करें।

याचिकाकर्ता अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि मुरैना और ग्वालियर में करोड़ों का काला कारोबार दूध और दूध से बने मिलावटी उत्पादों का होता है, जो प्रदेश की राजधानी से लेकर देश की राजधानी तक खपाया जा रहा है। मिलावटी दूध और अन्य उत्पादों को यूरिया साबुन समेत अन्य चीजों से मिलाकर तैयार कराया जाता है जिसके चलते बड़ी संख्या में कैंसर जैसी घातक बीमारियों से लोग पीड़ित हो रहे हैं, लिहाजा इस मामले पर स्थानीय कलेक्टर, सीएमएचओ, फूड सेफ्टी ऑफिसर समेत अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को निगरानी रखने के साथ कार्रवाई करनी चाहिए। याचिकाकर्ता की दलीलों के बाद न्यायालय का यह एक्शन देखने को मिला है।

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