वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। हाईकोर्ट में गंगरेल बांध में पिंजरों के जरिए मछलियों के अवैध शिकार को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने मत्स्य विभाग के सचिव को निर्देश दिया है कि वे इस मामले में दाखिल नवीनतम शपथपत्र पर स्पष्ट जवाब पेश करें। मामले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। इस मामले की अगली सुनवाई की 25 अगस्त को होगी।

धमतरी की वाइल्ड लाइफ वेलफेयर सोसाइटी ने जनहित याचिका लगाई है, जिसमें आरोप लगाया है कि गंगरेल जलाशय में बिना वैध अनुमति के पिंजरों के जरिए बड़े पैमाने पर मछलियों का शिकार किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि शासन ने छह माह पूर्व ही इस अवैध गतिविधि को रोकने का आश्वासन दिया था, परंतु आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

मामले की सुनवाई के दौरान मत्स्य विभाग की ओर से प्रस्तुत शपथपत्र में बताया गया कि जलाशय के लाभार्थियों ने जिला मजिस्ट्रेट-सह-कलेक्टर, धमतरी के समक्ष आवेदन देकर अपने पिंजरों को अन्यत्र स्थानांतरित करने की सहमति दी है और पिंजरे हटाने पर होने वाले नुकसान के लिए मुआवजे की भी मांग की है। सहायक निदेशक, मत्स्य पालन, जिला धमतरी ने 24 फरवरी 2025 को कार्यपालक अभियंता, जल प्रबंधन संभाग रुद्री को पत्र लिखकर पिंजरों के स्थानांतरण के लिए उपयुक्त स्थान चिन्हित करने का अनुरोध किया था। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से भी इस संबंध में अभियंता से भेंट की, लेकिन कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिल सका। इसकी जानकारी निदेशक (मत्स्य पालन) को भेजी गई थी।

शपथपत्र में कहा गया कि फुटाहामुड़ा क्षेत्र, जो एक आर्द्रभूमि है, उसमें कुल 774 पिंजरे लगाए गए हैं और अधिकांश किसानों ने इन्हें स्थानांतरित करने पर सहमति जता दी है। जैसे ही सिंचाई विभाग उपयुक्त स्थान चिन्हित करेगा, पिंजरों का स्थानांतरण कर दिया जाएगा। मानसून के कारण अभी पिंजरों को हटाया नहीं जा सका है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि शासन के प्रतिबंध के बावजूद जलाशय में मछली पकड़ने की गतिविधियां अभी भी चल रही हैं, जिससे पर्यावरणीय संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। वहीं राज्य के अधिवक्ता ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि जलाशय में फिलहाल ऐसी कोई गतिविधि नहीं हो रही है और विभाग स्थिति पर निगरानी बनाए हुए है।

कोर्ट ने शपथपत्र का अवलोकन करने के बाद मत्स्य विभाग के सचिव को निर्देशित किया कि वे इस संबंध में एक नया और विस्तृत उत्तर शपथपत्र के माध्यम से प्रस्तुत करें।