शरद पाठक, छिंदवाड़ा। 32 साल बाद भी छिंदवाड़ा में पावर प्लांट का काम शुरू नहीं होने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और निजी उद्योग ग्रुप से नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने पूछा है कि बीते 32 साल से छिंदवाड़ा जिले में प्रस्तावित पावर प्लांट का काम क्यों शुरू नहीं हुआ। जिसके चलते कलेक्टर छिंदवाड़ा, भू-अर्जन अधिकारी, मध्यप्रदेश पावर ट्रेडिंग कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और एक निजी पावर लिमिटेड भोपाल को नोटिस जारी किया गया है।

मध्यप्रदेश सरकार ने 1987-88 में थर्मल पावर प्लांट बनाने के लिए करीब 750 एकड़ जमीन अधिग्रहण की थी। सरकार ने 2009 में कंपनी के साथ इसके लिए एग्रीमेंट किया, लेकिन इसके बाद आज तक पावर प्लांट के नाम पर सिर्फ दफ्तर बना और कुछ नहीं हुआ। जबकि किसानों से कहा गया था कि अधिग्रहण की शर्त के तहत ग्रामीणों का पुनर्वास व परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी।

इसी को लेकर किसानों की ओर से याचिका दायर की गई थी। याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि बीते 32 साल से छिंदवाड़ा जिले में प्रस्तावित पावर प्लांट का काम क्यों नहीं शुरू हुआ है? जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की सिंगल बेंच ने मामले पर राज्य सरकार, कलेक्टर छिंदवाड़ा, भू अर्जन अधिकारी, मध्य प्रदेश पावर ट्रेडिंग कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है । मामले में अगली सुनवाई 21 जून को होगी।

जिन किसानों की जमीन अधिग्रहण की गई है उनका कहना है कि उनसे वादा किया गया था कि परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी लेकिन ना तो नौकरी दी गई और ना ही पावर प्लांट का काम शुरू किया गया। उम्मीद थी कि पॉवर प्लांट बनने से किसानों को रोजगार मिलेगा। किसानों की मांग है कि जब तक पावर प्लांट शुरू नहीं हो जाता उन्हें उनकी जमीन पर खेती करने दिया जाए ताकि उनका परिवार का पालन पोषण हो सके। इसके लिए किसानों ने कई बार पावर प्लांट के दफ्तर के सामने आंदोलन भी किया था।

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