धीरज दुबे,कोरबा. जिला प्रशासन की नाक के नीचे रेड कैटेगिरी का अत्यंत खतरनाक संयंत्र एक बार फिर क्षमता विस्तार के जरिये शहर की फिजा में जहर घोलने को तैयार है. लेकिन इसके लिये ना तो कोई अनुमति ही ली गई और ना ही नक्शे का अनुमोदन कराया गया, बल्कि क्षमता विस्तार के लिये निमार्ण का कार्य उस स्थान पर चल रहा है जहाॅ नगर पालिक निगम ने पहले ही अवैध अक्रिमण को तोडने के निर्देश दिये है.
कोरबा शहर के बीचोंबीच झगरहा में अत्यंत खतरनाक रेड कैटेगरी का संयंत्र हिमाद्री कैमिकल एण्ड इंडस्ट्रीज लिमिटेड संचालित है, जो प्रशासन की मेहरबानी से आसपास के लोगों को त्वचा कैंसर जैसी बीमारियाॅ बाॅट रहा है. हिमाद्री कैमिकल ने अपनी क्षमता के विस्तार का काम शुरू कर दिया है, हैरानी की बात ये है कि उक्त संयंत्र प्रबंधन ने औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग से क्षमता विस्तार के लिये किसी तरह का कोई निर्माण नक्शा अनुमोदित नहीं कराया है, जबकि नक्शे का अनुमोदन कराए बगैर किसी भी संयंत्र में निर्माण कराया जाना नियमों के विरूद्व है. हैरानी की बात ये भी है कि उस स्थान पर क्षमता का विस्तार का कार्य किया जा रहा है जिसे अतिक्रमण बताते हुए नगर पालिक निगम ने निर्माण तोडने के आदेश दिये हैं. निगम ने संयंत्र के जिस अहाते को अवैध बताते हुए तोडने के निर्देश दिये गए हैं उसके ठीक सामने फोर लेन सडक प्रस्तावित है.
संयंत्र द्वारा क्षमता विस्तार के लिये कराए जा रहे कार्य के संबंध में जब उप संचालक औद्योगिक स्वास्थ्य व सुरक्षा कोरबा कार्यालय से जानकारी ली गई तो उप संचालक विजय सोनी का कहना था कि कारखाना अधिनियम के अनुसार क्षमता विस्तार के लिये प्रस्तुत किया जाने वाला नक्शा विभागीय पोर्टल पर आॅन लाईन प्रस्तुत किया जाता है. इसलिये इस प्रकार का कोई आवेदन या जानकारी कोरबा कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। जाहिर सी बात है कि निर्माण की विधिवत अनुमति या अन्य आवश्यक औपचारिकताओं के बगैर ही रेड कैटेगरी के इस खतरनाक संयंत्र के भीतर धडल्ले से निर्माण कार्य जारी है, जो अब लगभग 40 से 50 फीसदी तक पूरा भी हो चुका है.
बताया जाता है कि हाल के दिनों में अपने उच्चाधिकारियों के निर्देश पर औद्योगिक स्वास्थ्य व सुरक्षा विभाग के जिला स्तर के अधिकारियो ने संयंत्र का निरीक्षण भी किया, लेकिन उन्हे क्षमता विस्तार के लिये किया जा रहा निर्माण या तो नजर नहीं आया या फिर उसे अनदेखा करने की कोई खास वजह रही है, ये जानना जरूरी है.
पर्यावरण व स्वास्थ्य को चुनौती देने वाला यह उद्योग प्रशासन और जिले के जन प्रतिनिधियों की मेहरबानी से शहर की घनी आबादी के बीच और सरकारी स्कूल के पास कैसे और क्यों संचालित है अपने आप में ये बेहद गंभीर मसला है. अब क्षमता विस्तार के लिये किया जाने वाले नियम विरूद्व कार्य को लेकर जानकारी के बावजूद विभाग की निष्क्रियता और उदासीनता अधिकारियों की नियत पर सवाल खडे कर रही है.
एक तरफ देश के अत्यंत प्रदूषित शहरो की लिस्ट में शुमार कोरबा का नाम तेजी से उपर के पाएदान पर चढता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कोरबा को स्वच्छ और स्मोकलेस बनाने का दावा करने वाले प्रशासन के अधिकारी माननीय सर्वोच्च न्यायालन के स्पष्ट निर्देर्शों को धता बताते हुए आबादी क्षेत्र में हिमाद्री कैमिकल जैसे संयंत्र के संचालन को प्रश्रय दे रहे हैं। ऐसे उद्योग पर जब तक हमारी सरकार प्रशासन और जनप्रतिनिधि मेहरबान रहेंगें तबतक कोरबा देश के उन शहरों में अग्रणी रहेगा जो खतरनाक तरीके से प्रदूषित है.