मनीष मारू, आगर-मालवा। कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों। कवि दुष्यंत कुमार की इस उक्ति को चरितार्थ किया है आगर निवासी हिमांशी संतोष भंडारी ने। जिन्होंने मेहनत और लगन से अपने हुनर को एक नई पहचान दिलाई और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है। हिमांशी ने कांच पर पीछे की तरफ से अब तक कि सबसे बड़ी पेंटिंग बनाकर यह मुकाम हासिल किया है। हिमांशी द्वारा कांच पर जैन समवशरण की 6.5 फीट ऊंची व 4.5 फीट चौड़ी पेंटिंग बनाकर यह उपलब्धि हासिल की है। यह पेंटिंग ग्लास कलर, सिल्वर व कॉपर फॉयल से बनाई गई है।

हिमांशी ने बताया कि उपाश्रय में प्रतिदिन आने पर यहां मौजूद साध्वी श्रीजी से पेंटिंग बनाने की प्रेरणा मिली। इनके कहने पर ही यह पेंटिंग बनाई गई है। पेंटिंग बनने के बाद उपाश्रय में ही इसको स्थापित किया गया है। हिमांशी का कहना है यह उनके लिए खुशी का अवसर है कि उनकी पेंटिंग इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज की गई है। वे आगे भी और नई तरह की पेंटिंग बनाएंगी।

हिमांशी ने समवशरण की यह पेंटिंग इमली गली स्थित जैन उपाश्रय में बनाई है। पेंटिंग को बनाने में 21 दिन का समय लगा है। हिमांशी ने पेंटिंग बनाने में प्रतिदिन 9 से 10 घण्टे तक मेहनत की है। पेंटिंग बनाने की शुरुआत इसी वर्ष 5 अक्टूबर से की जो 25 अक्टूबर को बनकर पूरी हुई। उन्होंने इस पेंटिंग को 23 अक्टूबर को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराया। इस पेंटिंग की बदौलत 7 दिसंबर को इस पेंटिंग के लिए उन्हें प्रमाण पत्र व मैडल दिया गया। अगले वर्ष 2022 में छपने वाली इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में हिमांशी का नाम दर्ज होगा।

इंदौर के गुजराती कॉलेज से एमबीए करने वाली हिमांशी भंडारी की रुचि कलाकृति के क्षेत्र में सबसे अधिक है। हिमांशी ने समवशरण के अलावा भी अन्य चीजों की आकर्षक पेंटिंग बनाई है। उन्होंने इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड के अलावा समवशरण की पेंटिंग के लिए गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड व लिम्का बुक में भी अपना नाम दर्ज करवाने के लिए आवेदन किया है।