असम सरकार ने विलुप्त (गायब) होने के खतरे से जूझ रहे आदिवासियों, चाय बागानों की जनजातियों, मोरान और मोटोक के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. अब इन समुदाय के लिए दो बच्चों की सीमा को खत्म कर दिया गया है. यानी अब इन समुदायों के लोगों के 2 से ज्यादा बच्चे भी होंगे तो वो सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं. मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि उनकी सरकार ने इन समुदायों को विलुप्त होने से बचाने के लिए जनसंख्या नियंत्रण उपायों के दायरे से बाहर रखने का फैसला किया है.

उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने चाय बागानों की जनजातियों, मोरान, मोटोक और अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों को जनसंख्या नीति के तहत बच्चों की संख्या दो तक सीमित करने के प्रावधान से छूट देने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि अगर हमने इसे छूट नहीं दी तो ये आबादी अपनी विशिष्ट पहचान खो देगी और अगले 50 सालों में धीरे-धीरे विलुप्त हो जाएगी.

छोटे समुदाय के लोग जीवित नहीं रह पाएंगे

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने सितंबर 2021 में घोषणा की थी कि राज्य सरकार सरकारी नौकरियों के संबंध में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और दूसरे पारंपरिक वनवासी समुदायों के लिए दो बच्चों के मानदंड को माफ कर देगी.उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में मोरन समुदाय की जनसंख्या लगभग 1 लाख है. हमने अलग-अलग सामाजिक वैज्ञानिकों की राय ली है और दो बच्चों के मानदंड में ढील देने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि अगर वो ऐसा नहीं करेंगे तो ये छोटे समुदाय जीवित नहीं रह पाएंगे.

असम लोक सेवा नियम 2019 के मुताबिक, दो बच्चों की नीति जनवरी 2021 में लागू हुई. असम पंचायत अधिनियम, 1994 में 2018 में किए गए संशोधन के अनुसार, राज्य में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता और कार्यात्मक स्वच्छ शौचालयों की जरूरत के साथ-साथ दो बच्चों का स्टैंडर्ड भी है. सीएम ने पहले कहा था कि उनकी सरकार विशिष्ट राज्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए दो-बच्चों की नीति को धीरे-धीरे लागू करेगी.

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m