सत्यपाल राजपूत, रायपुर। हिमोफीलिया बीमारी के इलाज के लिए राज्य में सरकारी व्यवस्था में अभी तक उपुयक्त इलाज की व्यवस्था नहीं लेकिन सरकारी योजना के माध्यम से पीड़ित मरीज 20 लाख तक का इलाज करा सकते हैं. मरीज इलाज के लिए अधिकृत अस्पतालों में राशन कार्ड के माध्यम से योजना का लाभ ले सकते हैं.

राज्य नोडल एजेंसी के उप संचालक डॉ राजिम वाले ने बताया कि हिमोफीलिया एक दुर्लभ बीमारी है. मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत इस बीमारी इलाज होता है. मरीज अपने राशन कार्ड से अधिकृत अस्पतालों से इलाज करा सकते हैं. प्राथमिकता एवं अंत्योदय राशन कार्डधारी सीधे योजना में शामिल है और एपीएल राशन कार्डधारी मरीज मुख्यमंत्री के माध्यम से लाभ ले सकते हैं.

क्या है हिमोफीलिया बीमारी

ये एक आनुवांशिक बीमारी है, जिसमें ख़ून का थक्का बनना बंद हो जाता है. इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है, क्योंकि रक्त का बहना जल्द ही बंद नहीं होता. विशेषज्ञों के अनुसार, इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे ‘क्लॉटिंग फैक्टर’ कहा जाता है.

आम लोगों में जब शरीर का कोई हिस्सा कट जाता है तो ख़ून में थक्के बनाने के लिए ज़रूरी घटक खून में मौजूद प्लेटलेट्स से मिलकर उसे गाढ़ा कर देते हैं. इससे ख़ून बहना अपने आप रुक जाता है. लेकिन हिमोफीलिया बीमारी से पीड़ित लोगों में ख़ून का थक्का बनना बंद हो जाता है.

इसे भी पढ़े- हीमोफीलिया बीमारी छत्तीसगढ़ में नासूर बनने के कगार पर, इलाज में किसान का बिक गया 14 एकड़ खेत, लेकिन नहीं बची तीन बच्चे की जान, जिम्मेदार कौन…… 

प्रदेश में मरीजों की संख्या

प्रदेश में हिमोफीलिया बीमारी नासूर बनने को तैयार है, मरीज को इसका इलाज मिलना मुश्किल हो गया है. प्रदेश में हिमोफीलिया बीमारी की 6 सौ मरीज है और राजधानी के बात करें तो 80 मरीज पंजीकृत है. गरीब मरीज इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों का चक्कर काटने को मजबूर है.

गौरतलब है कि खरोरा का एक किसान पिता अपने बच्चों के इलाज के लिए 14 एकड़ जमीन बेच दिया लेकिन लाचार पिता अपने बच्चों को बचाने में असफल रहा है, अंतत बच्चों की मौत हो गई.