
Holashtak 2025: होलाष्टक होली से पहले के आठ दिनों की अवधि होती है, जिसकी शुरुआत 7 मार्च से हो चुकी है. यह फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर फाल्गुन पूर्णिमा (होली) तक चलता है. खासतौर पर भारत में इसे अलग-अलग रस्मों के साथ मनाया जाता है. हालांकि, सभी जगहों पर इस अवधि में मांगलिक कार्य (शादी, गृह प्रवेश, मुंडन, उपनयन संस्कार आदि) वर्जित माने जाते हैं.
कई स्थानों पर होलाष्टक के पहले दिन से ही हल्के रंग खेलना शुरू कर दिया जाता है. वहीं, कुछ जगहों पर होलिका दहन के लिए लकड़ियाँ, उपले और अन्य सामग्री एकत्रित करने की परंपरा होती है. अलग-अलग राज्यों और समुदायों में इसकी रस्में थोड़ी भिन्न हो सकती हैं.
Also Read This: Gemstone: इस रत्न माणिक से बढ़ाएं आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता…
मथुरा, वृंदावन, काशी (Holashtak 2025)
यहां फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को होलिका दहन के लिए लकड़ियाँ एकत्र करने की शुरुआत होती है. मथुरा-वृंदावन में इस दिन से रंगों का उत्सव भी आरंभ हो जाता है. काशी (वाराणसी) में गंगा किनारे विशेष होली गीतों का आयोजन होता है.
जयपुर, जोधपुर, मेवाड़, शेखावाटी (Holashtak 2025)
यहां होलाष्टक के पहले दिन होली का डंडा गाड़ा जाता है, जो होलिका दहन की तैयारी का प्रतीक है. शेखावाटी क्षेत्र में इस दिन से होली के लोकगीत गाए जाते हैं और पारंपरिक नृत्य किए जाते हैं.
Also Read This: Holashtak 2025: कब से लगेगा होलाष्टक, शुभ कार्यों पर रोक, जानें तिथि और महत्व…
मालवा, निमाड़, चंबल क्षेत्र (Holashtak 2025)
मालवा और निमाड़ (इंदौर-) में होलाष्टक की शुरुआत के साथ होली के मंडप की स्थापना होती है. यहाँ के आदिवासी इलाकों में विशेष नृत्य और संगीत का आयोजन किया जाता है.
बिहार और झारखंड (Holashtak 2025)
होलाष्टक के पहले दिन होली का डंडा गाड़ने की परंपरा यहाँ भी देखी जाती है. इस दिन से होली के पारंपरिक लोकगीत (फगुआ) गाने की शुरुआत होती है. कई जगहों पर लोग इस दिन भगवान नरसिंह, प्रह्लाद और होलिका से जुड़े अनुष्ठान करते हैं.
Also Read This: Blood Moon: होली पर दिखेगा ब्लड मून, जानिए क्या भारत में दिखेगा ब्लड मून का नजारा…
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें