यत्नेश सेन, देपालपुर। जहां देशभर में होली का त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वहीं मध्य भारत यानी मध्यप्रदेश के इन्दौर का देपालपुर पूरे भारत मे एक मात्र ऐसा स्थान बताया जाता है जहां आज भी आदिमानव की तरह प्राचीन काल से चमक पत्थरों को रगड़कर आग उतपन्न कर होलीका जलाई जाती है। जी हां देपालपुर में एक अनोखी और प्राचीन परंपरा आज भी देखने को मिलती है। 

वैसे तो अक्सर आग लगाने के लिए माचिस और अन्य तरीके का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन बताया जाता है कि पूरे देश भर में देपालपुर एकमात्र ऐसा स्थान है जहां के धाकड़ सेरी क्षेत्र में होलिका दहन के लिए प्राचीन चकमक पत्थर को रगड़ कर उसकी चिंगारी से आग पैदा कर होलिका का दहन किया जाता है। बताया जाता है कि यह आदि मानव के समय की प्राचीन प्रक्रिया है जिसमें पत्थरों को रगड़ कर अग्नि पैदा की जाती थी। वही आज भी उसी प्रकार से यहां प्राचीन काल के इन सफेद कलर के चकमक पत्थरों को रगड़ कर चिंगारी से आग लगाकर होली जलाई जाती है जो की पूरे देश में एकमात्र होली जलाने की प्रक्रिया बताई जाती है जिसे देखने के लिए कई प्रदेशों से लोग यहां पहुंचते हैं।

नगर में होली के पर्व पर परंपरा अनुसार धाकड़ सेरी में गोबर के कंडो से बनी होली को चकमक पत्थर से सुबह सुबह आग पैदा जलाई जाती है। इसके बारे में गांव के पटेल रामकिशन ओर स्थानीय लोगो ने जानकारी देते हुए बताया कि प्राचीन काल से कई वर्षों से उनके दादा परदादा इस परंपरा को निभाते आए हैं। वे बताते हैं कि जहां तक उन्हें जानकारी है, करीब 9 पीढ़ियों से अधिक गुजर गई जब से यह प्रक्रिया उनके परिवार द्वारा यहां की जाती है जिसमें वह पत्थर से आग लगाकर होली जलाते हैं। 

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