
Bihar Holi News: होली कब है? 14 मार्च या 15 मार्च इस बात को लेकर लोगों में संशय बना हुआ है. हालांकि बिहार में होली को लेकर कंफ्यूजन अब दूर हो गया है. प्रदेश में अधिंकाश जगह पर परसो यानी की 15 मार्च को होली मनाई जाएगी. सामान्य तौर पर बिहार में कोई भी त्यौहार उदया तिथि के मौके पर मनाया जाता है और इसी कारण इस बार भी 15 मार्च को होली मनाना निर्धारित किया गया है.
हालांकि होली रंगों का त्यौहार है और यह फागुन शुरू होते ही शुरू हो जाती है. कई जगह होली दो से तीन दिन तक खेली जाती है.
बिहार में चैत्र प्रतिपदा को मनाई जाती है होली
मिथिला पंचांग के अनुसार बिहार में इस साल 15 मार्च को होली मनाई जाएगी. पटना में बोरिंग रोड पर स्थित शिव मंदिर के पुजारी पंडित अभिषेक मिश्रा ने बताया कि, सामान्य तौर पर बनारस में होली एक दिन पूर्व ही मनाई जाती है और बनारस में होली होने के 1 दिन बाद बिहार में होली खेली जाती है. होली चैत्र प्रतिपदा को बिहार में मनाई जाती है और चैत्र प्रतिपदा 14 मार्च को दिन के 12:26 से शुरू हो रहा है. जिसके कारण तमाम विद्वानों ने निर्णय लिया है कि अगले रोज 15 मार्च को उदया तिथि के मौके पर होली मनाई जाएगी.
बिहार में होलिका दहन का कार्यक्रम आज
बता दें कि बिहार में जहां 15 मार्च को होली मनाई जाएगी. वहीं, होलिका दहन आज 13 मार्च को ही किया जाएगा. पटना महावीर मंदिर के ज्योतिषाचार्य आचार्य मुक्ति कुमार झा ने बताया कि, फाल्गुन की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और चैत्र माह के कृष्ण पक्ष प्रतिपदा को सूर्योदय समय अनुसार होली का त्यौहार मनाया जाता है. इस स्थिति में आज 13 मार्च, गुरुवार की रात सुबह 10:35 से रात 11:29 बजे तक भद्रा का साया रहने वाला है. ऐसे में रात 11:30 बजे के बाद होलिका दहन किया जा सकेगा. साढ़े 11 बजे से होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शुरू होगा और जो देर रात 12:15 बजे तक रहेगा. ऐसे में तकरीबन 45 मिनट तक होलिका दहन किया जा सकेगा.
होलिका दहन पर करें ये शुभ काम
होलिका दहन के दिन विशेष पूजा-अर्चना करने से परिवार में सुख-शांति, समृद्धि बढ़ती है और नकारात्मकता खत्म होती है. पूजा के दौरान अक्षत, रोली-चंदन, मौली, गंगाजल, हल्दी, दीपक, मिष्ठान आदि अर्पित करें. इसके बाद होलिका में आटा, गुड़, गुग्गुल, जौ, कपूर, तिल, धूप, घी, आम की लकड़ी और गाय के गोबर से बने उपले या गोइठा डालकर सात बार परिक्रमा करें. इससे रोग से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. होलिका के जलने के बाद उसमें चना या गेहूं की बाली को सेंककर प्रसाद के रूप में ग्रहण करें, जिससे स्वास्थ्य लाभ मिलता है.
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