शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनाव हारने के बाद भी माननीयों का बंगला प्रेम नहीं छूट रहा है। माननीयों के इस आचरण के कारण नए विधायकों को आवास देना सिरदर्द साबित हो रहा है। ऐसे में गृह विभाग ने मुख्यमंत्री सचिवालय को सूची भेजी है। राजधानी भोपाल में 22 बंगलों के लिए लगभग 84 दावेदार है।

पीसीसी चीफ जीतू पटवारी का बंगला चुनाव हार जाने के कारण खाली कराया जाना है। ये बंगला पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वरिष्ठ विधायक गिरीश गौतम ने मांगा है। बंगला खाली नहीं होने की वजह से उन्हें एमएलए रेस्ट हाउस में आवास आवंटित कर दिया गया है। गौतम के पास विधानसभा अध्यक्ष रहते 74 बंगला में बी-7 बंगला अलाट था। इसी तरह करीब 30 विधायकों ने नोटिस के बाद अबतक सरकारी आवास खाली नहीं किया है।

इन पूर्व विधायकों ने खाली नहीं किए आवास
जिन पूर्व विधायकों से विश्राम गृह खाली कराया जाना है, उनमें गोपीलाल जाटव, रक्षा संतराम सरोनिया, अमरसिंह, सुभाष रामचरित्र, नंदनी मरावी, देवी सिंह सैयाम, ब्रह्मा भलावी, रामचंद्र दांगी, राम दांगोरे, सुमित्रा देवी कास्डेकर, दिलीप कुमार मकवाना, रघुनाथ सिंह मालवीय, टामलाल रघुजी सहारे, मुरली मोरवाल शामिल हैं। इनके साथ ही जजपाल सिंह जज्जी, भारत सिंह कुशवाह, महेश राय, बैजनाथ कुशवाह, तरवर सिंह, मुकेश रावत पटेल, निलेश विनोद डागा, राकेश गिरी, अजय टंडन, शशांक कृष्ण भार्गव, शरदेंदु तिवारी, राकेश पाल सिंह की और से भी अभी तक विधायक विश्राम गृह में आवंटित कमरे नहीं छोड़े हैं। 

इन्हें खाली करने हैं बंगले
इधर 18 पूल बंगले भी खाली होने हैं। जिन्हें ये बंगले छोड़ने हैं उनमें प्रद्युम्न सिंह लोधी, संजय शुक्ला, भूपेन्द्र मरावी, बाबूसिंह तंवर, आलोक चतुर्वेदी, प्रवीण पाठक, जीतू पटवारी, संजय शाह मकड़ाई, जालम सिंह पटेल, केपी त्रिपाठी, देवेन्द्र सिंह पटेल, रविन्द्र सिंह तोमर, सुरेन्द्र सिंह शेरा भैया, रामबाई गोविंद सिंह, संजय शर्मा, पीसी शर्मा, तरुण भनोत, नारायण त्रिपाठी शामिल हैं। 

इन विधायकों ने खाली कर दिए आवास
जिन विधानयकों द्वारा विश्राम गृह में आवंटित कमरे में खाली कर दिए हैं, उनमें पुरुषोत्तम लाल तुंतवाय, शिवदयाल बागरी, पंचूलाल प्रजापति, राजश्री सिंह, पहाड़ सिंह कन्नौजे, देवेन्द्र वर्मा, सुलोचना रावत, मेवाराम जाटव, राकेश मावई, श्यामलाल द्विवेदी, राज्यवर्धन सिंह, सीताराम आदिवासी, वीरेन्द्र रघुवंशी, राजेश प्रजापति, ओपीएस भदौरिया, अर्जुन सिंह काकोडिय़ा, नीलांशु चतुर्वेदी, बालसिंह मेड़ा और लक्ष्मण सिंह के नाम शामिल हैं।

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