सुरेश परतागिरी, बीजापुर। सड़क, पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं हर नागरिक का अधिकार हैं, लेकिन जब बार-बार मांग करने के बावजूद भी शासन और प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता, तो आम लोगों को खुद ही जिम्मेदारी उठानी पड़ती है। एक ऐसा ही मामला छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से सामने आया है, जहां सिस्टम की अनदेखी से तंग आकर ग्रामीणों ने अपने गांव की सड़क खुद बनाने का फैसला किया। कई बार आवेदन देने के बावजूद जब कोई सुनवाई नहीं हुई, तो ग्रामीणों ने वनोपज बेचकर और घर-घर चंदा इकट्ठा कर सड़क निर्माण का बीड़ा उठा लिया। यह कहानी न केवल सरकारी तंत्र की उदासीनता को उजागर करती है, बल्कि ग्रामीणों की आत्मनिर्भरता और जज़्बे की भी मिसाल पेश करती है।

हर घर से लिया गया 1200 रुपये चंदा

बीजापुर जिले के भैरमगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत केशकुतुल के सुराखेड़ा गांव के ग्रामीणों ने खुद सड़क बनाने की पहल की है। गांव की कुल आबादी लगभग 350 है। बारिश से पहले सड़क बन जाए, इसके लिए प्रत्येक घर से 1200 रुपये चंदा लिया गया। इसके अलावा टोरा, महुआ, इमली और आंवला जैसे वनोपजों को बेचकर भी पैसे जुटाए गए। ग्रामीणों ने बताया कि यह सड़क भैरमगढ़ तक लगभग 8 किलोमीटर लंबी होगी, जिसके लिए वे खुद श्रमदान भी कर रहे हैं।

नेताओं और अधिकारियों से लगाई गुहार, लेकिन नहीं हुई सुनवाई

लल्लूराम डॉट कॉम की टीम से बात करते हुए ग्रामीणों ने कहा कि हम कई बार भैरमगढ़ के अधिकारियों और जिला कलेक्टर से लेकर जनप्रतिनिधियों और मंत्री को आवेदन दे चुके हैं, परंतु कोई भी इस ओर ध्यान नहीं देता। चुनाव के वक्त नेता वोट मांगने आते हैं और वादा करके चले जाते हैं, पर आज तक किसी नेता ने हमारी समस्या का समाधान नहीं किया है। इस आठ किलोमीटर की सड़क निर्माण कार्य में न ही सरकार ने कोई दिलचस्पी दिखाई और न ही प्रशासन ने कोई ध्यान दिया। इस बीच ग्रामीणों ने ही अपने वनोपज से इकट्ठा किए गए रुपये से सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया है।

इस संबंध में क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य लच्छूराम मौर्य का कहना है कि ग्राम पंचायत केशकुतुल के सुराखेड़ा गांव के लोग, जिनकी आबादी 350 के आसपास है, वे अपने गांव की सड़क को भैरमगढ़ तक निर्माण करने के लिए कई बार सरकार और प्रशासन को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसलिए ग्रामीणों ने अपने वनोपजों को बेचकर सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिया है, जो कि एक गंभीर विषय है। इसे देखकर ऐसा लगता है कि सरकार को आम नागरिकों से कोई सरोकार नहीं है।

जनपद पंचायत भैरमगढ़ के मुख्य कार्यपालन अधिकारी पीआर साहू का कहना है कि हमें इसकी जानकारी मिली है कि सुराखेड़ा ग्राम में ग्रामीण स्वयं सड़क का निर्माण कर रहे हैं। ग्रामीणों ने सुशासन तिहार में सड़क निर्माण कार्य की मांग से अवगत कराया था। रोजगार गारंटी योजना में केवल मिट्टी का काम स्वीकृत किया जा सकता है। मुरमीकरण का प्रावधान मनरेगा योजना में नहीं है। यदि ग्राम पंचायत अपने स्वयं के साधन से मुरमीकरण करना चाहती है तो मिट्टी सड़क स्वीकृत की जा सकती है। उन्होंने आगे बताया कि मार्ग पथरीला है, चट्टान और मुरुम है, कड़ी मिट्टी होने के कारण मनरेगा योजना से कार्य कराने में रुचि नहीं दिखाई गई है।