पंकज भदौरिया, दंतेवाड़ा. पुलिस ने पोटाली में अब डेरा लगा दिया है. सोमवार को पोटाली गांव के पास डीआरजी,सीएफ,एसटीएफ के 300 जवानों की नफरी अस्थाई कैम्प डालने पहुंची. अरनपुर थाने से 10 किलोमीटर दूर पोटाली गांव तक पहुँचने के लिए जवानों ने नक्सलियों के काटे दर्जनों गढ्ढों को पाटकर पहुँची. क्योकि 2007 के बाद से अरनपुर से पोटाली का रास्ता बंद था. फिलहाल कैम्प के जवान अभी तंबू तानकर आगे बनाने की तैयारी में जुटे हैं.

इधर, दूसरी तरफ इसी कैम्प के विरोध में अब भी पोटाली नहाड़ी गांव के ग्रामीण विरोध कर वापस कैम्प करो कि मांग में डटे थे, ग्रामीणों को समझाने दन्तेवाड़ा कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा व एसपी अभिषेक पल्लव भी पहुँचे हुये थे. जहाँ कलेक्टर ने कहा कि कैम्प खुलने के बाद राशन, स्कूल और अस्पताल सब यही आप लोगो को मिलेगा. लेकिन ग्रामीणों का विरोध सिर्फ कैम्प से था। ग्रामीणों का कहना है कि कैम्प डलने के बाद से जवान ग्रामीणों को जबरन नक्सली बताकर परेशान करेगे, पहले भी इस तरह के काम ग्रामीणों के साथ होते रहे है.

नवीन कैम्प के विरोध में पहुँचे ग्रामीण अचानक से जबरन कैम्प हटाने और उखाड़ फेंकने की बात करते बढ़ने लगे, जिन्हें डीआरजी की महिला कमांडो और जवानों ने रोका जब भीड़ इसके बाद भी नही मान रही थी तो जवानों ने हवा में 10 गोलियां चलाई. साथ ही ग्रामीणों को भी पीछे खदेड़ा.

आखिर सुरक्षा के लिये लगने वाले कैम्प का इतना जबरदस्त विरोध आखिर ग्रामीण क्यो कर रहे है, जबकि प्रशासनिक अमला उन्हें सुविधा से लबरेज करने की बात भी कह रहा है. दरअसल पोटाली नक्सलियों की आधारशिला का बड़ा इलाका है. जहाँ वर्षो से नक्सलियों की हुकूमत चलती है, ग्रामीण तक प्रशासन की पहुँच शून्य के बराबर है. शायद यही वजह है जो कि ग्रामीण जवानों पर भरोसा नही कर रहे है.

कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा ने बताया कि जवानों का कैम्प लगने के साथ अब यहाँ हर सप्ताह मेडिकल कैम्प लगेगा. इसके साथ ही ग्रामीणों को मुर्गीपालन, बकरी पालन जैसे तमाम स्वरोजगार योजना से जोड़ा जायेगा.

एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा कि कैम्प खुलने के बाद से नक्सली इस इलाके से कमजोर हो जाएगे. दरभा डिवीजन को पोटाली कैंप से बड़ा झटका मलांगीर कमेटी पूरी तरह से टूट जाएगी. इसलिए ग्रामीणों को विरोध करने भेज रहे हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी का कहना है कि जब ग्रामीण विरोध कर रहे हैं तो जबरन कैम्प लगाने की क्या जरूरत है. पहले ग्रामीणों का विश्वास जीतना चाहिए. स्वतः आंदोलन कर रहे ग्रामीण आखिर विरोध क्यो कर रहे है इस बात को भी जानना चाहिए.

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