नई दिल्ली। पोखरण में ट्रायल के दौरान होवित्जर तोप फेल हो गई. होवित्जर तोप एम 777 पहली बार भारतीय सेना में शामिल होने वाली थी. लेकिन राजस्थान के पोखरण में जब इसके गन का ट्रायल हो रहा था, तब बैरल फट गया. ये ट्रायल 2 सितंबर को हुआ था. फिलहाल बैरल फटने की वजहों की जांच भारतीय सेना और अमेरिकी कंपनी मिलकर कर रही है.
बता दें कि अमेरिका की कंपनी BAE से आर्टिलिरी FMS समझौते के तहत ये तोपें खरीदी जा रही हैं. इंडियन आर्मी में 145 M777 तोपें शामिल होनी हैं. नवंबर 2016 में इन तोपों को खरीदने के लिए भारत ने अमेरिका से समझौता किया था. इस साल मई में 2 तोपें भारत लाई गई थीं. हर तोप की कीमत 30 करोड़ रुपए है.
ट्रायल के दौरान होवित्जर तोप के फेल होने पर इसकी गुणवत्ता पर कई सवाल उठ खड़े हुए हैं.
होवित्जर तोप एम 777 की खासियत
अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोप एम 777 महज 3 मिनट में एक्शन में आ जाती है. इसे पैक करने में 2 मिनट का वक्त लगता है. इसमें 155 एमएम के गोला-बारूद इस्तेमाल किए जा सकते हैं. इसका वजन हल्का 4200 किलो से भी कम है. इसका आकार भी कम होने के कारण इसे समुद्र हो या फिर हवाई मार्ग दोनों से ले जाया जा सकता है. इसे हेलीकॉप्टर तक से ले जाया जा सकता है. इन तोपों को खासतौर पर पहाड़ी इलाकों में तैनात किए जाने की तैयारी है. ये करीब 40 किलोमीटर तक लक्ष्य पर सटीक निशाना लगा सकती है. डिजिटल फायर कंट्रोल वाली ये तोप एक मिनट में पांच राउंड फायर करती है.
गौरतलब है कि 2018 में भारतीय सेना को 3 होवित्जर तोप एम 777 मिलेंगी. इसके बाज 2019 मार्च से हर महीने 5 तोपों को सेना में तैनात किया जाएगा. 2021 में तोपों की आपूर्ति और तैनाती पूरी हो जाएगी.
बता दें कि अमेरिकी कंपनी 145 गन भारत को देगी, जिसमें से 25 गन कंपनी सीधे देगी. जबकि बाकी की गन महिंद्रा कंपनी की मदद से भारत में तैयार होगी.
गौरतलब है कि साल 1980 में स्वीडिश कंपनी से बोफोर्स तोपें खरीदी गई थीं. लेकिन इसे लेकर तत्कालीन राजीव गांधी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. 3 दशक बीत जाने के बाद भी अब तक कोई तोप भारत ने नहीं खरीदा था. पिछले साल 2016 में अल्ट्रा लाइट होवित्जर एम 777 तोप के लिए भारत और अमेरिका के बीच करार हुआ.