Ashish Tiwari Lalluram.com
लेखक- आशीष तिवारी

रायपुर। संजीवनी 108। नाम सुनकर लगता है कि कोई कोड वोड होगा। किसी सिक्रेट सर्विस के एजेंट का, लेकिन आज इस बात का खुलासा हो गया कि ये कोड है यमराज के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे एजेंट्स का, जिसने कई बार यमराज को पटकनी दी है।

ये एजेंट्स फुली मैकेनाइज्ड है। इसकी शक्ल एंबुलेंस की तरह दिखती है, जिसके भीतर होता है, एक आक्सीजन सिलेंडर। हेल्थ केयर के लिए एजेंट्स की एक टुकड़ी, जिसे बकायदा ट्रेंड किया गया है। ये हर उस जगह मौजूद हैं, जहां यमराज दुर्घटना के बाद घायलों को यमलोक ले जाने आ खड़े होते हैं।

यमराज के खिलाफ लड़ रहे इन एजेंट्स का खुलासा आज उस वक्त हुआ, जब मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह लोक सुराज अभियान के तहत औचक निरीक्षण के लिए अचानक महासमुंद जिले के जम्हारी हेलीकाप्टर पहुंचे। मुख्यमंत्री ने कहा कि संजीवनी 108 की सर्विस ने जम्हारी गांव को यमराज से कई बार बचाया है। 

 कौन चलाता है संजीवनी 108 
 
हैदराबाद की इमरजेंसी मैनेजमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट के सहयोग से राज्य शासन संजीवनी 108 का संचालन करती है। देश के 16 राज्यों में संजीवनी 108 का संचालन किया जा रहा है। 45 हजार से ज्यादा कर्मचारियों और 13 हजार से ज्यादा संजीवनी एक्सप्रेस एबुंलेस के जरिए बिना किसी आर्थिक लाभ के काम करने वाली यह देश की सबसे बड़ी समाजसेवी संस्था बन गई है।
छत्तीसगढ़ में 25 जनवरी 2011 को मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने संजीवनी एक्सप्रेस का शुभारंभ किया था। आज प्रदेश के सभी 27 जिलों में इस सेवा के लिए 240 से ज्यादा एबुंलेंस कार्यरत हैं। इसके जरिए 12 लाख से ज्यादा लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई गई है। इसमें 2 लाख से ज्यादा गर्भवती महिलाओं को त्वरित उपचार मिला है। सड़क हादसों के शिकार 1 लाख 75 हजार से ज्यादा मरीजों को तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया।