रायपुर- बस्तर के माओवाद प्रभावित इलाकों में बीते दिनों चले सुरक्षाबलों के आपरेशन प्रहार-2 में ना सिर्फ बड़ी तादात में माओवादियों को हताहत किया गया, बल्कि माओवादियों के अहम दस्तावेज भी सुरक्षा बलों के हाथ लगे. दरअसल सुरक्षा बलों को मिला दस्तावेज माओवादियों का वो बहीखाता हैं, जिसमें वह अपने खर्चों का पूरा हिसाब-किताब रखते हैं.
सुरक्षा बलों के हाथ लगा माओवादियों के खर्चों का यह पूरा हिसाब-किताब 2011 से 2016 तक यानी छह सालों का है. बीते छह सालों के दौरान बस्तर के माड़ डिवीजन के नेलनार एरिया कमेटी में तैनात किए गए दलों के रहने-खाने, इलाज, साहित्य, मेडिकल, वर्दी जैसी तमाम जरूरत की चीजों में खर्च की गई राशि का जिक्र किया गया है. सुरक्षा बलों को मिले इन दस्तावेजों के मुताबिक माआवोदियों ने बीते छह सालों में करीब 21 लाख 35 हजार रूपए खर्च किए.
मीडिया से हुई बातचीत में बस्तर आईजी विवेकानंद सिन्हा बताते हैं कि माओवादियों ने 13 अलग-अलग मदों में ये राशि खर्च की है. एक-एक रूपए का हिसाब भी माओवादियों ने अपने रिकार्ड में रखा है. सिन्हा का कहना है कि छह सालों के दौरान माओवादियों ने महिला माओवादी पर महज सिर्फ 70 हजार रूपए ही खर्च किए.
किसके कितनी वसूली, इसका भी जिक्र
सुरक्षाबलों से जुड़े अधिकारी इस बात की भी तस्दीक करते हैं कि माओवादियों के जो अहम दस्तावेज आपरेशन के दौरान बरामद हुए हैं, उनमें वो तमाम नाम भी शामिल हैं, जहां से माओवादी वसूली किया करते थे. वसूली में आने वाली राशि को माओवादी अपने रूटिन खर्चों में इस्तेमाल किया करते थे. पुलिस अब इन तमाम पहलुओं की बारिकी से जांच करने में जुट गई है.
रूपयों के खर्च का हिसाब किताब रखने वाले इन दस्तावेजों में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि माओवादी अपने द्वारा लगाने जाने वाले कोर्ट के नाम पर भी रकम खर्च करते थे. इसके अलावा माओवादी अपने सदस्यों को व्यक्तिगत सहायता भी देते हैं. कुछेक दस्तावेजों में इसका जिक्र किया गया है.
पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारी कहते हैं कि जो बहीखाता सामने आया है, वह माओवादियों के संगठन चलाने का खर्चा है. माओवादी जो पैसा इकठ्टा करते हैं, उसी रकम से गोली, बारूद, दवाइय़ां और अपने खाने-पीने का इंतजाम करते हैं. कहीं-कहीं ग्रामीणों की सुविधा के लिए इस रकम का इस्तेमाल कुएं और तालाब खोदने में भी किया जाता है. अधिकारियों का कहना है कि माओवादी ऐसा अपने सरवाइवल के लिए करते हैं.