मुंबई. ओडिशा और आंध्र प्रदेश में आए खतरनाक चक्रवाती तूफान ‘तितली’ ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. इसकी वजह से तटीय इलाकों में रह रहे करीब 3 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. ओडिशा के कई जिलों में इस तूफान की वजह से रेड अलर्ट घोषित किया गया है. इससे बचाव के लिए सरकार ने कई ऐहतियाती कदम भी उठाए हैं. इस खतरनाक तूफान के बारे में एक दिलचस्प बात ये है कि इसका नाम ‘तितली’ पाकिस्तान द्वारा रखा गया है. वैसे आम तौर पर तूफानों का कोई नाम नहीं होता है. तूफानों का नाम देने की शुरुआत 1950 के दशक में शुरू हुई थी.
ऐसे होता है तूफानों का नामकरण
किसी भी तूफान का नाम देने के लिए वर्णमाला के हिसाब से एक लिस्ट बनी हुई होती है. हालांकि तूफान के लिए Q, U, X, Y, Z अक्षरों से शुरू होने वाले नामों का प्रयोग नहीं किया जाता है. अटलांटिक और पूर्वी उत्तर प्रशांत क्षेत्र में आने वाले तूफानों का नाम देने के लिए 6 लिस्ट बनी हुई है और उसी में से एक नाम को चुना जाता है. अटलांटिक क्षेत्र में आने वाले तूफानों के लिए 21 नाम मौजूद हैं.
ऑड-ईवन फॉर्मूले का भी होता है प्रयोग
तूफानों के नामकरण के लिए ऑड-ईवन फॉर्मूले का भी प्रयोग किया जाता है. ईवन साल जैसे- अगर 2002, 2008, 2014 में अगर चक्रवाती तूफान आया है तो उसे एक आदमी का नाम दिया जाता है. वहीं, ऑड साल जैसे- 2003, 2005, 2007 में अगर चक्रवाती तूफान आया है तो उसे एक औरत का नाम दिया जाता है. एक नाम को 6 साल के अंदर दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता है, जबकि अगर किसी तूफान ने बहुत ज्यादा तबाही मचाई है तो फिर उसका नाम हमेशा के लिए रिटायर कर दिया जाता है.
भारत में तूफानों का नाम देने की क्या है प्रक्रिया?
भारत में तूफानों का नाम देने की शुरुआत 2004 में हुई थी. भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, थाईलैंड, म्यांमार, ओमान और मालदीव ने नामों की एक लिस्ट बनाकर विश्व मौसम विज्ञान संगठन को सौंप दी. जब इन देशों में कहीं पर तूफान आता है तो उन्हीं नामों में से बारी-बारी से एक नाम को चुना जाता है. चूंकि इस बार नाम देने की बारी पाकिस्तान की थी, इसलिए ओडिशा और आंध्र प्रदेश में आए तूफान का नाम ‘तितली’ रखा गया.