Patravali Shringar Kaise Kare : जन्माष्टी के दिन भारत समेत समूचे विश्व में भगवान कृष्ण के लड्डू गोपाल अवतार की पूजा होती है. हिंदु परंपराओं को मानने वाले, सनातनी लोगों के घरों में स्थित भगवान के मंदिर या पूजा स्थल में लड्डू गोपाल विराजित रहते हैं. इस दिन पूजा स्थलों को सजाया जाता है. भक्त बड़े ही भाव से भगवान की आराधना करते हैं. उनकी बाल लीलाओं में मंत्रमुग्ध होकर झूमते हैं. नाचते हैं,गाते हैं. भक्त अपने भाव के अनुकूल हर उत्सव में कान्हा का अलग-अलग श्रृंगार करते हैं, तो जन्माष्टी में भगवान का प्रिय श्रृंगार कौन सा है, आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं. इसका उल्लेख वेदों में, पुराणों में है.
इस श्रृंगार को प्रिय पत्रावली श्रृंगार (चंदन श्रृंगार) कहा जाता है. यह श्रृंगार चंदन से किया जाता है. जो कान्हा को सर्वाधिक प्रिय है.
ये होता है पत्रावली श्रृंगार (Patravali Shringar Kaise Kare)
पत्रावली श्रृंगार में लड्डू गोपाल के मस्तिष्क में चंदन से बिंदी बनाई जाती है. भक्त कान्हा को तिलक के साथ-साथ उनके आंखों के ऊपर से चंदन से बिंदु बनाते हुए गाल तक बनाते हैं. भक्त कान्हा के होंठ के नीचे यानी ठुड्डी और गाल में भी बिंदी से श्रृंगार करते हैं.
पत्रावली श्रृंगार के बारे में और जानिए
प्राकृतिकता और पवित्रता
पत्रावली श्रृंगार में सभी सामग्री प्राकृतिक और पवित्र होती हैं, जो भगवान को शीतलता और सादगी प्रदान करती हैं. चंदन का उपयोग भगवान को गर्मी में शीतलता प्रदान करता है. सुशोभित और प्यारा बनाता है. पत्रावली श्रृंगार का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी है, जिससे भक्त भगवान के प्रति अपने भाव को प्रकट करते हैं.
पत्रावली श्रृंगार का महत्व
यह श्रृंगार भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्त के भक्ति और समर्पण का प्रतीक है. यह श्रृंगार भगवान को शीतलता और सौंदर्य प्रदान करता है, बल्कि भक्तों को भी आध्यात्मिक शांति और संतोष प्रदान करता है. यह श्रृंगार भगवान को भक्तों के करीब लाता है. कृपा एवं प्रेम का अनुभव कराता है.
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