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सुशील सलाम, कांकेर। कांकेर जिला मुख्यालय से महज अट्ठारह किलो मीटर दूर दूध नदी का उदगम स्थल मलांजकुडुम जलप्रपात देख रेख के आभाव के चलते बदहाली की आंसू बहा रहा है। मलांजकुडुम जलप्रपात के मनोरम दृश्य व् पहाड़ियों से घिरा हुआ झरना को देखने दूर-दूर से लोग छुट्टियों के दिन में पहुँचते है।
लेकिन सैलानी सुविधाओं के आभाव के चलते उन्हें खासा परेशानियां का सामना करना पड़ता है। जल प्रपात स्थल में सैलानियों के बैठने के लिए बनाए गए बेंच, झूला, लाईट सब गायब हो चुका है। वहीं यहां न तो केन्टीन की व्यवस्था की गई है और न ही पीने के लिए साफ पानी की भी कोई व्यवस्था की गई है।
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यहां सैलानियों को झरने से गिरने वाले पानी की दृश्य को देखने के लिए लक्ष्मण झूला का भी निर्माण किया जा रहा था लेकिन वह भी वन विभाग की उदासीनता के चलते अधूरा निर्माण कर ठेकेदार द्वारा काम रोक दिया गया है। आलम यह है कि अब तो लक्षमण झूला में लगे सामान भी धीरे धीरे गायब होते जा रहे हैं।
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इस सम्बन्ध में वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी से पूछे जाने पर बजट नहीं आने की बात कहते है। साथ ही नवपदस्थ कलेक्टर को इस मामले की जानकारी देने पर उन्होंने ने जांच की बात कही है।