Delhi Bulldozer Action: दक्षिण दिल्ली के जंगपुरा इलाके में मद्रासी कैंप के झुग्गी बस्ती में पिछले 60 वर्षो से रह रहे 300 से ज्यादा मजदूर वर्ग के परिवारों के लिए मुसीबत खड़ी होने वाली हैं। यहां के निवासियों ने शुक्रवार (30 मई) को दावा किया कि 1 जून को सरकारी अधिकारी इलाके में तोड़फोड़ अभियान को अंजाम देंगे। कहने को 12 अप्रैल को अधिकारियों ने बस्ती की दीवारों पर सरकार द्वारा आवंटित फ्लैटों के लिए पात्र परिवारों की सूची चिपका दी है।लेकिन करीब 370 परिवारों में से सिर्फ 189 ही पात्र पाए गए। जिसके बाद अपात्र परिवारों की चिंताए बढ़ गई हैं।

वहीं प्रशासन की ओर से शुक्रवार को पात्र निवासियों को जारी नोटिस में कहा गया कि शुक्रवार रात 11 बजे से बारापुला ब्रिज पर ट्रक खड़े किए जाएंगे जिसमें वे अपना सामान रख सकते हैं, ताकि उन्हें आवंटित फ्लैटों तक पहुंचाया जा सके। ये ट्रक 1 जून तक खड़े रहेंगे।

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‘यहीं मर जाएंगे, झुग्गियां नहीं करेंगे खाली’

मद्रासी कॉलोनी के लोगों का कहना है कि जिनको घर नहीं मिला, उनका क्या होगा? “हम कहां जाएंगे? हम यहीं मर जाएंगे लेकिन अपनी मद्रासी कैंप की झुग्गियां खाली नहीं करेंगे,” एक महिला ने कहा हालांकि मद्रासी कैंप में डिमोलिशन की कार्रवाई से ठीक 1 दिन पहले जिन लोगों को मकान मिल गए हैं, वे झुग्गियों से अपना सामान निकालते नजर आए तो कुछ लोग अभी भी झुग्गियां खाली करने को तैयार नहीं हैं।

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आवंटित फ्लैट्स की हालत ख़राब

कैंप के निवासी मुरुगन ने कहा कि करीब 300 परिवारों में से सिर्फ 189 को ही फ्लैट आवंटित किए गए हैं। हमें जो फ्लैट दिए जा रहे हैं, वे भी अधूरे और खराब हालत में हैं। कुछ लोगों को नरेला जैसे दूरदराज इलाकों में मकान आवंटित हुए हैं। जबकि 26 अन्य लोगों को मकान देने का वादा किया गया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ।

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हाई कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई

गौरतलब है कि, दिल्ली हाईकोर्ट ने मद्रासी कैंप में सार्वजनिक भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश पर अधिकारी 1 जून 2025 से अमल करेंगे। यानी 1 जून से अधिकारी बुलडोजर चलाकर अवैध झुग्गियों को ध्वस्त कर सकते हैं। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा, ”ध्वस्तीकरण से पहले निवासियों के पुनर्वास के लिए एक व्यवस्थित योजना भी बनाई जानी चाहिए। दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार ध्वस्तीकरण व्यवस्थित तरीके से किया जाएगा और निवासियों को केवल पुनर्वास का अधिकार होगा।”

हाईकोर्ट के जज ने साफ़ कहा था कि कोई भी निवासी पुनर्वास के अधिकार से परे किसी भी अधिकार का दावा नहीं कर सकता है, क्योंकि यह सार्वजनिक भूमि है और अतिक्रमण हुआ है।

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