प्रीत शर्मा, मंदसौर। मध्यप्रदेश में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं 2018 से 2023 के इस कार्यकाल का साढ़े चार साल बीत चुका है साल खत्म होते-होते जनता फिर अपनी सरकार चुनेगी यानी एक बार फिर जनप्रतिनिधियों की आवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी है एमपी की 230 विधानसभा सीटों में मौजूदा हालात क्या हैं, क्षेत्र की क्या स्थिति है, कौन सा विधायक कितने पानी में है ? इन सभी का जवाब अब विधायक जी का रिपोर्ट कार्ड (vidhayak ji ka Report Card) देगा। लल्लूराम डॉट कॉम आपको सूबे के सभी विधायकों की परफॉमेंस और उनके क्षेत्रों की जमीनी हकीकतों के बारे में बताने जा रहा है। विधायक जी का Report Card में आज बात मंदसौर विधानसभा सीट की।
विधानसभा का इतिहास
मंदसौर विधानसभा का इतिहास बेहद पुराना है। इस सीट ने ज्यादातर वक्त बीजेपी को फायदा पहुंचाया है। मंदसौर विधानसभा 1962 में अस्तित्व में आई थी। तब से लेकर अब तक ज्यादातर समय बीजेपी विधायक ही यहां से जीतते हुए आए है। मंदसौर विधानसभा में पर्यटन की दृष्टि से विश्व विख्यात अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर है। जहां दूरदराज से श्रद्धालु दर्शन करने आते है। इसके साथ ही मंदसौर खेती किसानी और अफीम की फसल को लेकर भी जाना जाता है। यहां मुख्य रूप से गेंहू और लहसुन, प्याज की फसल की बड़ी मात्रा में पैदावार होती है। इसके साथ काले सोने के नाम से प्रसिद्ध अफीम की खेती भी यहां की जाती है। भौगोलिक दृष्टि से मंदसौर राजस्थान के प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, कोटा और झालावाड़ जिले से घिरा हुआ है। जबकि मंदसौर विधानसभा का एक भाग राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले की सीमा से लगता है।
मंदसौर विधानसभा में मतदाता की स्थिति
मंदसौर विधानसभा का केंद्र क्रमांक 224 है। यहां 5 जनवरी 2023 के मुताबिक कुल 2 लाख 54 हजार 507 मतदाता है। जिसमे 1 लाख 29 हजार 326 पुरुष मतदाता है और 1 लाख 25 हजार 175 महिला मतदाता है। जबकि थर्ड जेंडर में यहां 6 मतदाता है। इस विधानसभा में मुख्य रूप से ओबीसी वोटर बड़ी संख्या में है। साथ ही राजपूत और पाटीदार समाज का भी दबदबा है। इन सबके विपरीत भाजपा को यहां के शहरी क्षेत्रों से हमेशा से अच्छी बढ़त मिलती हुई आई है। यानी बीजेपी शहरी मतदाताओं से ही जीत दर्ज करती है।
5 वर्षो के कार्यकाल पर विधायक का कहना
मंदसौर विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया ने बताया की उन्होंने शहर को मेडिकल कॉलेज, सिंचाई व्यवस्था सहित 1 अरब से अधिक के ओवर और अंडर ब्रिज दिए है। इसके साथ ही गांधीसागर से मीठे पानी को पाइप लाइन बिछाकर मंदसौर के कालाभाटा बांध तक लाया गया है। शिवना नदी और सोमली नदी पर आधा दर्जन से अधिक स्टाप डेम भी बनवाए गए है। खिलाड़ियों के लिए हॉकी का एस्ट्रो टर्फ, बैडमिंटन का सेंथेटिक कोर्ट, स्केटिंग का स्टेडियम, शतरंज की बिसात, टेबल टेनिस की टेबल जैसे कई काम किए है। इसके अलावा भावगढ़, नगरी और दलौदा में मिनी स्टेडियम भी दिए गए है। कृषि उपज मंडी मंदसौर और दलौदा में हमने तौल कांटे भी दिए है। शिक्षा के क्षेत्र में गांव साबाखेडा में 34 करोड़ रुपए का सीएम राइज स्कूल दिया गया है। शिवना शुद्धिकरण को लेकर भारत सरकार से 27 करोड़ का पैकज प्राप्त हो चुका है। जल जीवन मिशन और नल जल योजना के तहत पूरे मंदसौर विधानसभा में टंकियों का निर्माण चल रहा है। इसके साथ ही सड़कों का जाल भी छोटे छोटे गांवों और शहरों में बिछाया गया है।
विपक्ष का कहना
कांग्रेस के वरिष्ट और मंदसौर विधानसभा के पूर्व कांग्रेस उम्मीदवार नरेंद्र नाहटा ने आरोप लगाते हुए कहा है की 15 वर्षो से वर्तमान विधायक मंदसौर विधानसभा से विधायक है। इतना वक्त का अगर किसी को अवसर मिले तो क्षेत्र का चेहरा ही बदल जाना चाहिए। उन्होंने कहा की विधायक जी मेडिकल कॉलेज की बात कहेंगे। जो कमलनाथ जी ने दिया था। शिवना नदी के शुद्धिकरण पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा की 20 वर्षो पहले भी हम शिवना के हालत पर रोते थे और आज भी हम रो रहे है। वर्ष 2014 में सांसद ने दो ओवर ब्रिज स्वीकृत करवाए थे। जब स्वीकृत हुए थे तो विधायक जी यश लेने के चलते उसे केंद्र का ना बताते हुए राज्य का योगदान बता रहे थे। लेकिन 9 वर्षो बाद भी जब वह अधूरा है तो इस अपयश को भी वे स्वीकार करे। मंदसौर में भ्रष्टाचार को लेकर देख लीजिए, सड़को के दो महीने में उखड़ जाने की खबरे अखबारों में दिख जायेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को लेकर कुछ नही किया गया। 20 वर्ष सरकार के लिए बहुत होते है। लेकिन मंदसौर जिस कार्य के योग्य था वह इन 20 वर्षो में नही मिला है।
ग्रामीण इलाको में दौरा करते है विधायक
मंदसौर विधानसभा के ग्रामीण लोगो का विधायक पर भरोसा दिखाई दे रहा है। लल्लूराम. कॉम से हुई बातचीत में लोगो ने बताया है की विधायक जी क्षेत्र में आते रहते है। और कई विकास कार्य पर पकड़ भी बनाए हुए है।
सड़को को सुधारा, पेयजल की व्यवस्था दी
ग्रामीणों का कहना है की विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया ने ग्रामीण क्षेत्रों में सड़को को सुधारा है। साथ ही पीने के पानी की व्यवस्था भी की है। पहले खेतो तक जाने के लिए सड़के नही हुआ करती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं रहा है।
रोजगार की समस्या से परेशान
मंदसौर विधानसभा में विधायक के दौरे और सड़को को लेकर जो ग्रामीण प्रशंसा कर रहे है। उन्ही का यह भी कहना है की विधायक जी को युवाओं के रोजगार को लेकर कुछ करना चाहिए। पुलिस विभाग सहित पटवारी भर्ती को लेकर प्रयास करने चाहिए। ग्रामीण युवाओं का कहना है की रोजगार की शिकायत उन्हे विधायक से जरूर है।
शिवना शुद्धिकरण प्रमुख समस्या, रुपया मिला किंतु कार्य अभी अधर में
मंदसौर विधानसभा की सबसे बड़ी समस्या शिवना नदी का शुद्धिकरण है। यह नदी मंदसौर की जीवन दायिनी कहलाती है। लेकिन बरसो से इसमें मिल रहे नाले के गंदे पानी के चलते यह खराब अवस्था में है। पूर्व में नदी के शुद्धिकरण को लेकर कई प्रयास किए गए। धरना, प्रदर्शन भी हुए। छोटे मोटे प्रयासों से इसे शुद्ध करने की कोशिश भी की गई लेकिन सारे प्रयास विफल रहे। अभी वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा शिवना नदी के शुद्धिकरण को लेकर करीब 28 करोड़ की राजी स्वीकृत कर भेजी गई है। कार्य भी शुरू हो गया है। लेकिन यह कितना सफल होगा यह कहा नही जा सकता।
दलौदा क्षेत्र महत्वपूर्ण लेकिन यहां क्या मिला
मंदसौर विधानसभा का दलौदा क्षेत्र व्यापारिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। इस इलाके में बीजेपी का अच्छा वोटबैंक है। दलौदा के स्थानीय निवासी लंबे समय से दलौदा को नगर परिषद बनाने की मांग कर रहे है। सीएम भी अपने दौरे के दौरान घोषणा कर चुके है। लेकिन अब तक दलौदा को नगर परिषद नही बनाया गया है। इसके साथ ही यहां स्वास्थ्य की दृष्टि से स्वास्थ्य भाव तैयार किया गया। लेकिन उसमे इलाज करने के लिए चिकित्सक उपलब्ध नहीं है।
स्वास्थ्य की समस्या बरकरार, कब होगा निदान
मंदसौर विधानसभा में सबसे बड़ी समस्या स्वास्थ्य को लेकर है। यहां 500 बिस्तरों जिला चिकित्सालय मौजूद है। लेकिन चिकित्सक न होने से वह सिर्फ रेफर अस्पताल बनकर रह गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला अस्पताल में सरकार चिकित्सकों की पूर्ति नहीं करवा पा रही है और उधर नए बन रहे मेडिकल कॉलेज में स्टॉफ की पूर्ति कैसे करवाएगी।
कोई उद्योग नहीं
मंदसौर विधानसभा नए उद्योगों के मामले में भी कमजोर है। इसी कारण यह रोजगार नही है। स्थिति यह है की रोजगार को लेकर यहां से कई लोग पलायन कर रहे है। शिक्षा के क्षेत्र में कुछ नही होने के कारण यहां का युवा बड़े शहरों की तरफ जा रहा है।
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