हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्यप्रदेश में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. 2018 से 2023 के इस कार्यकाल का साढ़े चार साल बीत चुका है। साल खत्म होते-होते जनता फिर अपनी सरकार चुनेगी. यानी एक बार फिर जनप्रतिनिधियों की आवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी है। एमपी की 230 विधानसभा सीटों में मौजूदा हालात क्या हैं, क्षेत्र की क्या स्थिति है, कौन सा विधायक कितने पानी में है ? इन सभी का जवाब अब विधायक जी का रिपोर्ट कार्ड (vidhayak ji ka Report Card) देगा. लल्लूराम डॉट कॉम आपको सूबे के सभी विधायकों की परफॉमेंस और उनके क्षेत्रों की जमीनी हकीकतों के बारे में बताने जा रहा है। विधायक जी का Report Card में आज बात सैलाना विधानसभा सीट की.

बीजेपी के बड़े नेताओं के द्वारा आमसभा ना करने के कारण नारायण मेडा को सैलाना विधानसभा में हार का सामना करना पड़ा था। इस विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी हर्ष विजय गहलोत ने 28,498 वोटों से नारायण मेडा को हराकर जीत का परचम लहराया था। क्षेत्र के युवा विधायक से खासे नाराज हैं। सैलाना विधानसभा में लंबे समय तक गहलोत परिवार ने राज किया है लेकिन अब तक सैलाना विधानसभा में किसी भी युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था नहीं की, जिसके कारण क्षेत्र में पलायन बड़ी समस्या है। रतलाम जिले की 5 सीटों में से एक महत्वपूर्ण सीट सैलाना है जो आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। क्षेत्र में लंबे समय से कांग्रेस का गढ़ रहा है। 1962 में पहली बार सोशलिस्ट पार्टी ने यहां पर अपना कब्जा जमाया था।

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गहलोत परिवार ने सात बार किया प्रतिनिधित्व

इसके बाद से प्रभु दयाल गहलोत 1967 में यहां से विधायक बने। इस परिवार ने 7 बार इस विधानसभा पर प्रतिनिधित्व (राज) किया है। इस विधानसभा में अब तक 1962 से 2018 तक तेरह बार चुनाव हो चुके हैं जिसमें एक बार सोशलिस्ट पार्टी और 8 बार कांग्रेस और तीन बार बीजेपी ने जीत हासिल की हैं। इसके साथ ही 1998 में प्रभु दयाल गहलोत ने निर्दलीय चुनाव लड़ कर यहां पर जीत का परचम लहराया था। इस विधानसभा के इतिहास की अगर बात की जाए तो इस विधानसभा 1951 में तत्कालीन मध्यभारत राज्य के 79 विधानसभा क्षेत्रों में से एक के रूप में अस्तित्व में आया था। 1956 में इसे विलोपित कर दिया गया था लेकिन 1961 में फिर यह अस्तित्व में आ गया। इस विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी लोग निवास करते हैं।

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पेयजल के साथ रोजगार ही प्रमुख समस्या

मुख्य तौर पर इस क्षेत्र में पानी (पेयजल) की बड़ी समस्या है। पुराने समय से बने हुए तालाब ही अब तक सैलाना विधानसभा को पानी पहुंचा रहा है। इसके साथ ही इस क्षेत्र में अब तक रोजगार की कोई भी व्यवस्था नहीं हो पाई है। लंबे समय से गहलोत परिवार ने यहां पर इतने लंबे समय तक राज किया लेकिन इस विधानसभा के लोगों को रोजगार की कोई सुविधा मुहैया कराने में सफल नहीं हुए। क्षेत्र के लोगों का कहना है विधायक का मेलजोल और व्यवहार तो अच्छा है लेकिन आदिवासी युवाओं को यहां से बड़ी संख्या में पलायन करना पड़ता है। यहां से आदिवासी युवाओं को पलायन कर अन्य प्रांत गुजरात और राजस्थान काम करने के लिए जाना पड़ता है। क्षेत्र में रोजगार की कोई भी व्यवस्था नहीं है।

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चुनाव कैंपेन के अभाव में बीजेपी को मिली पराजय

रोजगार के मामले में दोनों पार्टी बीजेपी और कांग्रेस नाकाम रही है। कांग्रेस ने यहां पर लंबे समय तक राज किया है। कांग्रेस प्रत्याशी के हार का मुख्य कारण बीजेपी के बड़े नेताओं का विधानसभा क्षेत्र में आमसभा और चुनाव कैंपेन को बताया जाता है। इस क्षेत्र में नारायण मेडा को बीजेपी से टिकट मिला था। टिकट देने के बाद बीजेपी ने इस विधानसभा क्षेत्र में मुड़कर भी नहीं देखा जिसके कारण नारायण मेडा को हार का सामना करना पड़ा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 230 विधानसभा क्षेत्रों में कई क्षेत्रों में बड़ी बड़ी सभाए ली और लोगों को संबोधित किया था, लेकिन सैलाना विधानसभा में मुख्यमंत्री शिवराज के ना पहुंचने का हर्जाना नारायण मेडा को भुगतना पड़ा।

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जयस की सक्रियता का भी क्षेत्र में आंशिक प्रभाव

नारायण मेडा को 28,498 वोटों से विजय गहलोत ने पराजित कर जीत का परचम लहराया था। क्षेत्र में बड़ी समस्याओं को लेकर जयस जमीनी स्तर पर सक्रिय है। जयस की सक्रियता 2023 विधानसभा चुनाव को प्रभावित कर सकता है। जयस का कहना है विधायक क्षेत्र में मेल मुलाकात नहीं करते हैं ना ही वह आदिवासी लोगों के बीच जाते हैं। कई आदिवासियों का मानना है कि विधायक मेल मुलाकात करते हैं लेकिन उनका काम नहीं हो पाता। सैलाना विधानसभा में एशिया का सबसे बड़ा कैक्टस गार्डन स्थापित हुआ है जहां पर एक फीट तक के कैक्टस देखे जा सकते हैं और कई कैक्टस में यहां पर फूल भी आए हैं। इस गार्डन को देखने के लिए दूरदराज से लोग सैलाना पहुंचते हैं।

फैक्ट फाइल

मतदाताओं की संख्या :- 2,04,790
पुरुष मतदाताओं की संख्या :- 1,01,822
महिला मतदाताओं की संख्या :- 1,02,967
थर्ड जेंडर की संख्या :- 1

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