नई दिल्ली. भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में न्यायिक हिरासत में रखे गए मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी का मुंबई के होली फैमिली में सोमवार निधन हो गया. स्टेन स्वामी कई बीमारियों से पीड़ित थे. पिछले साल कोरोना से संक्रमित भी हुए थे. स्टेन स्वामी की जमानत याचिका पर आज ही सुनवाई भी होनी थी. बॉम्बे हाई कोर्ट में स्टेन स्वामी के निधन की सूचना दी गई. स्टेन स्वामी की मौत के बाद राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय कई लोगों ने दुख जताया है. इस मौत को लेकर लोगों ने सवाल उठाए हैं. वहीं सोशल मीडिया में लगातार तीखी प्रतिक्रिया आ रही है.

सोशल मीडिया में ऐसी कुछ प्रतिक्रियाओं में उनकी मौत को “त्रासदी” बताया गया. कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि ये “हत्या” है और हिरासत में हुई स्टेन स्वामी की ‘मौत की जवाबदेही तय करने की मांग’ भी की है. स्वामी 84 साल के थे और बीते दो दिन से मुंबई के एक अस्पताल में लाइफ सपोर्ट पर थे. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कल ही फादर स्टेन स्वामी की गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के संबंध में मिली एक शिकायत के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया था.

राज्य के मुख्य सचिव के माध्यम से भेजे गए नोटिस में एनएचआरसी ने उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा था कि स्वामी को जीवन रक्षक उपाय के तहत उचित चिकित्सा देखभाल और उपचार प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाए. भीमा कोरगांव हिंसा मामले में स्टेन स्वामी को रांची से बीते वर्ष हिरासत में लिया गया था. उन पर हिंसा भड़काने का मामला चल रहा था. स्टेन स्वामी पर 2018 के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में शामिल होने और नक्सलियों के साथ संबंध होने के आरोप भी लगाए गए थे.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने स्टेन स्वामी की मौत पर संवेदना जताते हुए ट्वीट किया कि “वे न्याय और मानवता के हकदार थे.”

स्टेन स्वामी की मौत पर पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि ‘यह हत्या है. “हम जानते हैं कि कौन जिम्मेदार है.”

वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया कि “कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक व्यक्ति जिसने जीवन भर गरीबों-आदिवासियों की सेवा की और मानव अधिकारों की आवाज बना, उन्हें मृत्यु की घड़ी में भी न्याय एवं मानव अधिकारों से वंचित रखा गया.”

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने फादर स्टेन स्वामी के निधन पर दुख और आक्रोश प्रकट करते हुए लिखा, “बगैर किसी आरोप के यूएपीए लगा कर अक्तूबर 2020 से हिरासत में अमानवीय व्यवहार किया गया. हिरासत में हुई इस हत्या की जवाबदेही ज़रूर तय की जानी चाहिए.”

इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने फादर स्टेन स्वामी के निधन को एक ‘त्रासदी’ बताया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, “उनकी त्रासद मौत ज्यूडिशियल मर्डर का केस है जिसके लिए गृह मंत्रालय और कोर्ट संयुक्त रूप से जवाबदेह हैं. “गुहा ने स्टेन स्वामी के काम को भी याद किया है. उन्होंने लिखा है, ” फादर स्टेन स्वामी पूरी जिंदगी वंचितों के लिए काम करते रहे.”

वहीं वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने लिखा, “एक ताक़तवर भारतीय राज्य ने यूएपीए के तहत एक 84 वर्षीय बुज़ुर्ग को इसलिए गिरफ़्तार किया क्योंकि अपना जीवन आदिवासियों के बीच काम करते हुए बिताने के लिए उसने उन्हें आतंकवादी के रूप में देखा.”