RSS यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि मणिपुर में सरकार अवश्य होनी चाहिए और सरकार बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि विनाश में 2 मिनट का समय लगता है, लेकिन निर्माण में दो साल लग जाते हैं. मणिपुर में मई 2023 से कुकी-जो और मेइती समुदायों के बीच संघर्ष में कम से कम 260 लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं. फरवरी में एन बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद मणिपुर में अब राष्ट्रपति शासन लागू है. बता दें कि, इस समय संघ प्रमुख मोहन भागवत मणिपुर दौरे पर हैं. यहां इम्फाल में एक कार्यक्रम में सरकार गठन को लेकर जोर दिया था, भागवत के इस बयान पर बीजेपी ने भी सहमति जाहिर की है.
सीएम बिरेन सिंह ने दिया था इस्तीफा
बता दें कि, 3 साल तक हिंसा की आग में जलने के बाद मणिपुर में फरवरी के महीने में सीएम एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से ही यहां पर राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है, जिसे अगस्त में 6 महीने के लिए आगे बढ़ा दिया गया था. इस समय संघ प्रमुख मोहन भागवत मणिपुर दौरे पर हैं. यहां इम्फाल में एक कार्यक्रम में सरकार गठन को लेकर जोर दिया था, भागवत के इस बयान पर बीजेपी ने भी सहमति जाहिर की है.
संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा मणिपुर में सरकार बहाली की बात पर बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि “पूरी परिस्थिति पर केंद्र सरकार की नजर बनी हुई है, वहां सामान्य स्थिति बहाल भी हो रही है. वहां हर वो काम किया जाएगा जो देश और राज्य के हक और फायदे में होगा”
क्या बोले थे संघ प्रमुख?
संघ प्रमुख मोहन भागवत मणिपुर के दौरे पर हैं. गुरुवार को उन्होंने इम्फाल के एक कार्यक्रम में बातचीत के दौरान कहा था कि सरकार और पार्टियों के मामलों में मैं बहुत हस्तक्षेप नहीं करता हूं. लेकिन, मणिपुर में सरकार अवश्य होनी चाहिए. मेरी जानकारी के अनुसार, इसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं. किसी की पहचान आदि को नुकसान पहुंचाए बिना, भौतिक मामलों में शांति जल्द स्थापित हो जाएगी. हालांकि आंतरिक शांति आने में कुछ समय लगेगा. हमें इसका ज्ञान है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत दो साल पहले भड़की जातीय हिंसा के बाद 20 नवंबर को पहली बार मणिपुर पहुंचे हैं. उनका यहां 3 दिनों का कार्यक्रम है.
2 साल पहले भड़की थी हिंसा
मणिपुर में आज से ठीक दो साल पहले मई 2023 से मैतेई और कुकी समूहों के बीच जातीय हिंसा शुरू हुई थी. इसमें करीब 260 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं. इसके साथ ही हजारों लोग बेघर हो गए हैं. आलम यह रहा कि राज्य के हजारों लोग इस समय कैंप में अपनी जिंदगी जी रहे हैं. हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह फरवरी 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफे के बाद केंद्र ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था. राज्य विधानसभा, जिसका कार्यकाल 2027 तक है, इसको निलंबित कर दिया गया है.
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