रायपुर- सामान्यतः जब कोई आदमी तरक्की की राह पकड़ता है, तो अपनी जमीन को भूल जाता है, पर रायपुर जिले के कलेक्टर ओ.पी. चौधरी जो 2005 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं, अपनी जमीन से, अपने गांव से और अपने लोगों से जुडे़ रहते हैं. यही वजह है कि जब भी उन्हें मौका मिलता है, वे विद्यार्थियों के बीच, कभी खिलाड़ियों के बीच, कभी कैरियर टीचर के रूप में प्रतियोगी परीक्षा में पढ़ने वालों को प्रोत्साहित करने पहुंच जाते है.

ऐसा ही एक दृश्य गत दिनों हमर छत्तीसगढ़ येाजना के आवासीय परिसर, रायपुर में देखने को मिला. जैसे ही ओ.पी. चौधरी को पता लगा कि रायगढ़ जिले से जो पंचायत प्रतिनिधि अध्ययन भ्रमण पर आए उनमें उनके गांव के भी बहुत से लोग शामिल हैं, वे फौरन उनके बीच पहुंचे और काफी समय उनके साथ आवासीय परिसर में गुजारा, उनके साथ लाईन में लगकर भोजन किया और अपने अनुभव बांटें.

भोजन के पूर्व उपस्थित अपने क्षेत्र से आए जनप्रतिनिधियों को उन्होंने संबोधित किया.  संबोधन में उन्होंने कहा कि जैसा आप जानते ही हैं कि मैं छत्तीसगढ़ का हूं और छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के एक छोटे से गांव में मैंने जन्म लिया. प्रायमरी, मिडिल और हाईस्कूल तक की शिक्षा रायगढ़ के ही सरकारी स्कूलों में प्राप्त की. रायगढ़ जिले के बायंग गांव के रहने वाले ओ.पी. चौधरी ने छठवीं तक की पढ़ाई जयमुडा में की, उसके बाद 12वीं तक वे तोड़ता में पढ़ें. वे बताने लगे कि बारहवीं के बाद आगे पढ़ने के लिए भिलाई आया उसके बाद जब पढ़ाई के लिए दिल्ली जाने की बात चली तो मेरे मन में एक भय आया कि मैं इतने छोटे से गांव का लड़का, दिल्ली जैसे महानगर में कैसे पढूंगा, लेकिन मैंने अपने मन को दृढ़ किया और मैं सबसे कम उम्र में यूपीएससी पास करने वाला बना. तब मुझे अपने गांव पर बहुत गर्व हुआ कि एक छोटे से गांव का लड़का अपने गांव के लोगों के समर्थन और प्यार से आज इस मुकाम पर पहुंच गया और मुझे अपनी जिम्मेदारियों का अहसास हुआ. मुझे अहसास हुआ कि जब मैं आईएएस जैसे प्रतिष्ठित पद पर पहूंचा हूं तो मुझे अपने गांव के लिए, अपने जिले के लिए और अपने प्रदेश के लिए ईमानदारी से काम करना है और प्रदेश की उन्नति में सहायक बनना है. मैं यहां उपस्थित मेरे गांव के पंच, सरपंच और अन्य पंचों, सरपंचों साथियों को आश्वस्त करना चाहता हूं, उन्हें भरोसा दिलाना चाहता हूं कि यदि व्यक्ति चाहे और उसकी इच्छाशक्ति हो तो कठिन से कठिन स्थिति में भी कड़ी मेहनत और ईमानदारी के साथ सफलता प्राप्त की जा सकती है. आज मेरे गांव के कई साथी यहां उपस्थित हैं जिनका मेरे लालन-पालन में योगदान रहा, जैसे यहां वो व्यक्ति भी हैं जिन्होंने मेरे बचपन में मेरे बाल काटे थे. आज मुझे बहुत खुशी हो रही है कि रायपुर जिले के कलेक्टर के रूप में मैं आज उनके साथ भोजन कर रहा हूं, फोटो खिंचवा रहा हूं.
साभार- हमर छत्तीसगढ़ के नोडल अधिकारी सुभाष मिश्र के फेसबुक वॉल से.