रायपुर। अगर कुछ करने का हौसला इंसान में हो, तो उसके सामने कोई भी मुश्किल नहीं टिक सकती है. बस जरूरत होती है उसे मौका और संसाधन उपलब्ध कराने की. और अगर उन्हें किसी का सपोर्ट मिल जाए, तो वे आसमान की बुलंदियों को भी छू सकते हैं.

राजधानी रायपुर के गरीब और मेंटली चैलेंज्ड लेकिन बेहद प्रतिभाशाली 15 साल के विजय कुमार साहू के सपनों को उड़ान दी जल संसाधन विभाग के सचिव सोनमणि बोरा ने. आर्थिक तंगी और पारिवारिक परिस्थितियों के कारण सड़क पर इधर-उधर घूमते इस बच्चे को अब न सिर्फ सरकारी स्कूल में दाखिला दिला दिया गया है, बल्कि उसकी पढ़ाई-लिखाई के अलावा देखरेख का जिम्मा भी सरकार उठा रही है.

बता दें कि रायपुर के सरोना की गुमटियों और चौराहों पर बैठकर सड़क पर दौड़ती चमचमाती कारों को देखकर खुद भी एक दिन बड़ा आदमी बनने का सपना देखने वाला 15 साल का विजय कुमार साहू पैदायशी विकलांग है. वो बोल भी नहीं पाता है और इशारों से अपनी बात समझाता है.

विजय का दिमाग बच्चों के जैसा है. उसकी मानसिक स्थिति असामान्य है. इस लड़के के पिता की मौत हो चुकी है और मां मजदूरी करके जैसे-तैसे विजय का पेट पाल रही है. 4 भाई-बहनों में ये सबसे बड़ा है. लेकिन गरीब मां के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वो उसका इलाज करा सके.

स्थानीय लोगों ने की मदद

विजय की हालत देखकर स्थानीय लोगों ने उसके इलाज और पढ़ाई के लिए समाज कल्याण विभाग के तत्कालीन सचिव सोनमणि बोरा से संपर्क किया. विजय की जानकारी मिलते ही सोनमणि बोरा ने तुरंत विभाग के संयुक्त संचालक पंकज वर्मा और फिजियोथेरेपिस्ट डॉ ललित तिवारी को उसके घर भेजा.

अधिकारियों ने उसकी मां से बातचीत की और फिर ये फैसला लिया गया कि विजय की देखरेख का पूरा जिम्मा अब सरकार उठाएगी. इसके बाद उसका एडमिशन माना स्थित अस्थिबाधित विद्यालय में कराया गया. विजय का इलाज भी सरकारी खर्च पर कराया जा रहा है.

विजय को पढ़ने का है बेहद शौक

लोग बताते हैं कि विजय अपने मोहल्ले के बच्चों को स्कूल जाता देख अपनी मां से खुद को स्कूल भेजने की जिद किया करता था. उसकी मां कई बार एडमिशन के लिए स्कूल भी गई थी, लेकिन बाकी बच्चों से अलग होने के कारण उसको दाखिला नहीं दिया गया.

अब विजय को स्कूल में दाखिला मिलने से उसकी मां भी बेहद खुश और अस्थिबाधित विद्यालय में उसे मिल रही सुविधाओं से बेहद संतुष्ट है.

IAS सोनमणि बोरा ने स्थानीय लोगों की पहल की सराहना करते हुए कहा कि विजय जैसे दूसरे बच्चों की मदद के लिए सामने आना चाहिए. सरकार की कई योजनाओं हैं, जिनका लाभ उन्हें दिलाया जा सकता है.