Identity theft : आज के डिजिटल युग में पहचान की चोरी (Identity Theft) एक गंभीर समस्या बन गई है. कई लोग अपनी अनजाने में अपनी व्यक्तिगत जानकारी साइबर अपराधियों के हाथों में सौंप देते हैं, जिससे वे धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं. हाल ही में, वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ अनुपम गुप्ता को तब एहसास हुआ कि उनके नाम और पते का दुरुपयोग कर किसी ने लोन लिया है, जब वसूली एजेंट उनके पीछे पड़ गए. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने CIBIL से आए उस नोटिफिकेशन को नजरअंदाज कर दिया था, जिसमें इस लोन की जानकारी दी गई थी.
इसी तरह, मुंबई की एक गृहिणी को तब झटका लगा जब उन्हें आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) के कानूनी विवाद में घसीटा गया. उन पर 2010-11 में 1.3 करोड़ रुपये की संपत्ति बेचने का आरोप लगाया गया था, जबकि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उनकी पैन कार्ड की जानकारी का दुरुपयोग हुआ था.
भारत में बढ़ते पहचान चोरी के मामले (Identity theft)
एक्सपीरियन इंडिया की 2015 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में उस समय 77% धोखाधड़ी के मामलों की जड़ में पहचान की चोरी थी. ऑटो लोन, होम लोन और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी धोखाधड़ी सबसे ज्यादा देखने को मिली. 2022 तक, भारत में 2.72 करोड़ लोग इस अपराध का शिकार हुए, जिससे यह दुनिया में पहचान की चोरी के मामलों में सबसे आगे निकल गया.
यूके स्थित समसब आइडेंटिटी फ्रॉड रिपोर्ट 2023 के मुताबिक, भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान एशिया-प्रशांत क्षेत्र के उन 10 देशों में शामिल हैं जहां डीपफेक टेक्नोलॉजी का उपयोग कर धोखाधड़ी की जा रही है.
क्या है पहचान की चोरी?
जब साइबर अपराधी किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी, जैसे- पासवर्ड, आईडी नंबर, बैंक डिटेल्स आदि चोरी कर लेते हैं और उनके नाम पर वित्तीय धोखाधड़ी या अन्य गैरकानूनी गतिविधियां करते हैं, तो इसे पहचान की चोरी कहा जाता है.
पहचान चोरी के प्रकार
वित्तीय धोखाधड़ी: बैंक खाते, क्रेडिट कार्ड की जानकारी चुराकर अवैध लेन-देन करना.
चिकित्सा धोखाधड़ी: किसी अन्य की स्वास्थ्य बीमा जानकारी का उपयोग कर मेडिकल सुविधाएं लेना.
आपराधिक पहचान की चोरी: किसी निर्दोष व्यक्ति के नाम पर अपराध करके उसे कानूनी पचड़ों में फंसाना.
सिंथेटिक पहचान चोरी: असली और नकली जानकारी मिलाकर एक नई पहचान बनाना.
बच्चों की पहचान चोरी: बच्चों के नाम और जानकारी का दुरुपयोग करना, जो वर्षों तक सामने नहीं आता.
ऑनलाइन धोखाधड़ी: सोशल मीडिया, ईमेल और वेबसाइट से जानकारी चुराकर जालसाजी करना.
बायोमेट्रिक, टैक्स और पासपोर्ट धोखाधड़ी: फिंगरप्रिंट, पैन कार्ड और पासपोर्ट जानकारी चुराकर फर्जीवाड़ा करना.
कैसे काम करते हैं साइबर अपराधी?
विशेषज्ञों के अनुसार, साइबर अपराधी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं. फ़िशिंग (Phishing) आज भी सबसे आम तरीका है, जिसमें ईमेल, कॉल या मैसेज के जरिए लोगों से उनकी संवेदनशील जानकारी ली जाती है. सोशल मीडिया पर नकली प्रोफाइल बनाकर ठगी करना भी एक बड़ा खतरा बन चुका है. भारत में, बैंक अधिकारी बनकर फोन करना और आधार लिंक करने के बहाने जानकारी लेना आम धोखाधड़ी के रूप में देखा गया है.
पहचान चोरी से बचाव के उपाय
- अनचाही कॉल और ईमेल से सावधान रहें: बैंक या अन्य संस्थाएं फोन पर व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगतीं.
- मजबूत पासवर्ड बनाएं: हर खाते के लिए अलग और मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें.
- टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) चालू करें: इससे सुरक्षा बढ़ जाती है.
- बैंक स्टेटमेंट और क्रेडिट रिपोर्ट नियमित रूप से जांचें: किसी भी अनधिकृत गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई करें.
- सार्वजनिक Wi-Fi का इस्तेमाल सोच-समझकर करें: ये नेटवर्क असुरक्षित हो सकते हैं.
- सोशल मीडिया पर अपनी जानकारी सीमित रखें: निजी जानकारी कम से कम साझा करें.
- अविश्वसनीय लिंक और अटैचमेंट पर क्लिक करने से बचें: ये फ़िशिंग हमलों का जरिया हो सकते हैं.
- अगर आपकी पहचान चोरी हो जाए तो क्या करें?
- तुरंत अपने बैंक और वित्तीय संस्थानों को सूचित करें.
- CIBIL, एक्सपीरियन और अन्य क्रेडिट ब्यूरो में धोखाधड़ी अलर्ट लगाएं.
- स्थानीय पुलिस में एफआईआर दर्ज कराएं.
सतर्क रहें, सुरक्षित रहें
डिजिटल दुनिया में साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं. इसलिए सतर्क रहना और अपनी निजी जानकारी की सुरक्षा के लिए सही कदम उठाना बेहद जरूरी है. पहचान की चोरी से बचने के लिए जागरूक रहें और हर संदेहास्पद गतिविधि की जांच करें.
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