रायपुर। वैसे तो कुंडली में किसी भी ग्रह का अशुभ स्थिति में होना जीवन में दुख-परेशानियों का कारण बनता है. लेकिन शनि और राहु-केतु का अशुभ होना जीवन को तबाह करने के लिए काफी है. इसलिए वैदिक ज्योतिष में इन ग्रहों की शांति के उपाय जल्द से जल्द कराने की सलाह दी जाती है.

कुंडली में यदि राहु अशुभ हो तो इसके लक्षण जीवन में साफ तौर पर देखे जा सकते हैं. कुंडली में राहु की स्थिति अ’छी अर्थात नेक या खराब अर्थाद बद है तो उसका अलग असर होता है. परंतु कई बार बाहरी कारणों से भी राहु खराब होकर अशुभ फल देने लगता है, फिर भले ही कुंडली में राहु की स्थिति अच्छी हो. ये लक्षण जिसका आप कारण ढूंढकर उनका समाधन करके राहु द्वार जीवन में खड़ी होने वाली अचानक परेशान से बच सकते हैं. इन 25 संकेतों से आप भी समझ सकते हैं…

घर की दहलीज का दब जाना, खराब हो जाना.

सीढ़ियों का वास्तु अनुसार नहीं बनना या खराब रहना.

शौचालय का गंदा या टूटा फूटा रहना.

घर का नैऋत्य कोण दूषित होना.

पेट के बदल ही सोते रहना.

अतीत का रोना रोते रहना और भविष्य की कल्पना कर ख्यालीपुलाव पकाना.

काला जादू, तंत्र, टोना आदि के चक्कर में पड़ना.

अनावश्यक कल्पना, आशंका, कुशंका, डर और बेचैनी का बना रहना.

रात को नींद न आना, रात को सपने ही सपने ही आना.

पानी, आग और ऊंचाई से ज्यादा डरना.

किसी पर भी विश्वास नहीं करना आदि.

दूसरों के खिलाफ षडय़ंत्र की बातें सोचना.

भयभीत करने वाले स्वप्न आना या चमककर उठ जाना.

अचानक शरीर अकड़ने लगे.

बेकार के दुश्मन पैदा होना.

बेईमान या धोखेबाज बन जाना.

मद्यपान करना.

अतिसंभोग करना.

सिर में चोट लग जाना.

घटना दुर्घटना का बढ़ जाना.

गृहकलह करते रहना.

दिमाग में भ्रम बना रहना, हमेशा भ्रमित ही रहना.

राहु वाले स्थान पर रहना.

छोटी-छोटी बातों पर बहुत गुस्सा और अकेले में बड़बड़ाना.

शराब और नशे की ओर आकर्षण राहु के कारण हो सकता है. खराब राहु के लक्षण हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में आपको इन लक्षणों की तुंरत पहचान करने की चाहिए और खुद को शांत करने की कोशिश करनी चाहिए.

राहु का उपाय राहु

ससुराल पक्ष का कारक है, ससुराल से बिगाड़ नहीं चलना चाहिए. सिर पर चोटी रखना, माथे पर चंदन का तिलक लगाना, भोजन कक्ष में ही भोजन करना राहु का उपाय है. घर में ठोस चांदी का हाथी रख सकते हैं. सरस्वती की आराधना करें. गुरु का उपाय करें. राहु दोष में सबसे पहले पीपल के पेड़ के नीचे दिया जलाएं. दूसरा गणेश जी की पूजा करें. इसके अलावा राहु दोष निवारण मंत्र का जाप करें, जो कि है- ओम भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:, राहु गायत्री मंत्र. “नकाध्वजय विद्महे पद्म हस्ताय धीमहि तन्नो रहु: प्रचोदयात्” का 108 बार जप.