केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) अलग सोच वाली पार्टी है और इसलिए वह बार-बार जनता का विश्वास जीत रही है. उन्होंने पार्टी को अतीत में कांग्रेस द्वारा की गई उन गलतियों को दोहराने से बचने को लेकर आगाह किया जिनकी वजह से कांग्रेस को सत्ता से बाहर होना पड़ा. लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बहुमत प्राप्त नहीं कर पाने के करीब 1 महीने बाद गडकरी ने कहा, ”अगर हम वही करते रहेंगे जो कांग्रेस करती थी, तो उनके जाने और हमारे आने का कोई मतलब नहीं है.”

जाति आधारित राजनीति के चलन की गडकरी ने आलोचना की और कहा ”जो करेगा जात की बात उसे पड़ेगी  कसके लात”. गडकरी पणजी के निकट BJP की गोवा कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित कर रहे थे. बैठक में पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष सदानंद तनावडे और मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत सहित अन्य नेता शामिल हुए. अपने 40 मिनट के भाषण में अपने गुरु और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की उस टिप्पणी कि ”भाजपा एक अलग सोच वाली पार्टी है” का उल्लेख किया. BJP के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, ”आडवाणी जी कहा करते थे कि हम एक अलग सोच वाली पार्टी हैं. हमें यह समझना होगा कि हम अन्य पार्टियों से कितने भिन्न हैं.” नागपुर से लोकसभा सदस्य ने कहा कि कांग्रेस की गलतियों के कारण जनता ने BJP को चुना. साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी को वही गलतियां करने से बचने को लेकर आगाह किया.

आने वाले दिनों में पार्टी कार्यकर्ताओं को यह पता होना चाहिए कि राजनीति सामाजिक और आर्थिक सुधार लाने का एक साधन है.” गडकरी ने जोर देकर कहा, ”हमें (भाजपा को) भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाना है और इसके लिए हमारे पास एक योजना होनी चाहिए.” महाराष्ट्र की राजनीति का जिक्र करते हुए गडकरी ने तर्क दिया कि उनके गृह राज्य में जाति के आधार पर राजनीति करने का चलन है.

चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा, ”मैंने इस चलन का अनुसरण नहीं करने का निर्णय किया है. मैंने लोगों से कहा है कि मैं जाति-आधारित राजनीति में नहीं पड़ूंगा. जो करेगा जात की बात, उसे पड़ेगी कसके लात.” गडकरी ने कहा कि एक व्यक्ति की पहचान उसके मूल्यों से होती है न कि उसकी जाति से. भाजपा की गोवा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए गडकरी ने बैठक में शामिल होने वाले सभी नेताओं से हर निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करने और संगठन को मजबूत बनाने का आग्रह किया, ताकि पार्टी 2027 के विधानसभा चुनावों के बाद सत्ता बरकरार रख सके.