दिल्ली. देश में कोरोना तेजी ये बढ़ता जा रहा है. बढ़ते संक्रमण के बीच रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए भी मारामारी मची हुई है, रेमडेसिविर के लिए लोग इतने पागल हो गए हैं कि कई जगहों से इसकी कालाबाजारी और नकली इंजेक्शन बनाने की भी खबरें सामने आने लगी है. अगर आप भी रेमडेसिविर की किल्लत की खबरों से परेशान हैं तो ये जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है. AIIMS के डॉक्टरों ने ये महत्वपूर्ण सलाह जारी की है कि रेमडेसिविर कोरोना के इलाज की रामबाण दवा नहीं है और न ही ये जीवन रक्षक दवा है. ये वैसे ही कोरोना के लक्षणों और बुखार को कम करने के काम आती है, जैसे पैरासिटामोल दवा काम आती है.
‘रेमडेसिविर के लिए न हों परेशान’
ऋषिकेश AIIMS के कोविड नोडल अधिकारी ने लोगों को सलाह दी है, कि रेमडेसिविर न मिलने पर बिल्कुल भी परेशान होने की जरूरत नहीं है. रेमिडेसिविर कोरोना के इलाज का कोई आखिरी विकल्प नहीं है. AIIMS के अधिकारी ने कहा कि अगर कोई कोरोना संक्रमित हो गया तो उसे सबसे पहले को-मोर्बिलिटीज डिसीज के उपचार पर ध्यान देना चाहिए. कोरोना के लक्षण सामने आने पर इलाज की प्रक्रिया तीन चरणों में अपना लेनी चाहिए.
पहले 7 दिन में करें
1- 15 दिन रोज विटामिन-सी दिन में 2 बार लें
2- बुखार हो तो पैरासिटामोल दिन में 4 से 6 बार 3 दिन तक लें
3- सर्दी की शिकायत हो तो मॉन्टेलुकास्ट-लेवो-सिट्रीजिन टेबलेट रोज लें
4- घर पर पूरी तरह आराम करें
5- डरे नहीं और ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं
6- बीच-बीच में प्रोनिंग पोजिशन यानि छाती के बल लेटते रहे
दूसरे चरण में करें
अगले 7 दिन डॉक्टर से अपनी जांच कराएं. चेस्ट एक्स-रे, चेस्ट सीटी स्कैन, कम्लीट ब्लड काउंट टेस्ट, किडनी फंक्शन टेस्ट कराएं. लीवर फंक्शन टेस्ट, सीआरपी, डी-डायमर, एलडीएच टेस्ट अनिवार्यरूप से कराएं. इससे ये पता चलेगा कि किस अंग में संक्रमण हैं और कितना है. पल्स रेट, ब्लड प्रेशर, रेसपिरेटरी रेट, शरीर का तापमान और ऑक्सीजन सेचुरेशन की भी निगरानी.
तीसरे चरण में करें
आमतौर पर संक्रमण के 4 हफ्ते बाद तक इसका असर रह सकता है. इसके मामूली लक्षण भी हो सकते हैं और बिना लक्षणों के भी लंबे समय तक वायरस शरीर में रह सकता है. इस दौरान जल्दी ठीक होने के लिए रोगी को सांस वाले व्यायाम और सामान्य शारीरिक व्यायाम पर ध्यान देना चाहिए. ताकि शरीर की इम्युनिटी बढ़े और वायरस पूरी तरह से शरीर से खत्म हो.