रामेश्वर मरकाम, धमतरी। मेरे घर शौचालय बना दीजिये साहब शादी होने के बाद से खुले में शौच जाने में मुझे अच्छा नही लगता . ये कहना है धमतरी ब्लाक के नवागांव में रहने वाली उमेश्वरी साहू का. जिनका पूरा परिवार खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है क्योंकि उनके घर शौचालय नही बन पाया है. मुकेश साहू से उनकी शादी चार साल पहले हुई थी .

मुकेश साहू मजदूरी करके अपने और परिवार का भरण पोषण करता है, लेकिन उनकी आमदनी उतनी नही कि वे अपने घर शौचालय बना सके. लिहाजा पूरे परिवार को खुले शौच जाना पड़ता है । ऐसा नही है कि इस परिवार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय बनवाने की मांग नही की, लेकिन आज-तलक तक उनके घर पर शौचालय नहीं बन पाया. पत्नी चाहती है कि घर मे शौचालय हो और उन्हें खुले शौच जाना न पड़े. यही वजह कि अब एक पति-पत्नी के रिश्ते अब टूटने के कगार पर है ।

मौजूदा वक्त में इस  परिवार को सरकार के महत्वपूर्ण स्वच्छ भारत मिशन योजना का लाभ नही मिल पाया है. नतीजन आज भी पूरा परिवार खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है, हालांकि ये अलग बात है कि सरकारी सिस्टम खुले में शौच मुक्त जिला होने का तमगा हासिल कर चुका है, लेकिन इस महिला की कहानी सरकारी तन्त्र की पोल खोलती नजर आ रही है.