मोसीम तडवी, बुरहानपुर। इंदौर इच्छापुर नेशनल हाइवे के भोटा फाटे के चेक पोस्ट पर पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र और मप्र की सीमा में प्रवेश करने वाले ट्रक चालकों से अवैध वसूली की जा रही है. ट्रकों के अंडर लोड होने और सभी दस्तावेज पूरे होने के बाद भी चालकों को 200 रुपये से लेकर 2 हजार रुपये तक का चढ़ावा चढ़ाना पड़ रहा है. मांग पूरी नहीं करने वाले ट्रकों को घंटों खड़ा रखा जाता है. जिसके चलते मजबूरी में चालक चेकपोस्ट कर्मचारियों की अवैध मांग को पूरा कर रहे हैं. चेकपोस्ट पर तैनात गैर सरकारी कर्मचारियों पर कुछ ट्रक चालकों ने गुंडागर्दी और मारपीट तक का आरोप लगाया है.

लल्लूराम डॉट कॉम की पड़ताल

News24MP-CG और लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने बुरहानपुर जिले के इच्छापुर स्थित बार्डर चेकपोस्ट का रिएलिटी चेक किया, तो ट्रक चालकों का दर्द छलक पड़ा. उन्होंने कहा कि देश के दूसरे राज्यों के चेकपोस्टों पर इस तरह की लूटमार नहीं है. यहां होने वाली जबरन वसूली ना सिर्फ बुरहानपुर जिले बल्कि प्रदेश की भाजपा सरकार की साख को भी बट्टा लगा रही है.

महाराष्ट्र-एमपी सीमा पर जारी है अवैध वसूली का खेल

बुरहानपुर जिले की सीमा के साथ ही मप्र की सीमा भी समाप्त होती है. बुरहानपुर में महाराष्ट्र सीमा पर तीन चेकपोस्ट स्थापित हैं. सभी जगह अनाधिकृत रुप से स्थानीय कर्मचारी तैनात हैं. चेकपोस्ट पर तैनात ये कर्मचारी ट्रक चालकों को परिवहन विभाग के कार्यालय भवन की एक छोटी सी खिड़की के पास भेजते हैं. जहां तय राशि जमा कराने के बाद अंदर बैठा कर्मचारी एक कूपन देता है. यह कूपन ही ट्रक के चेकपोस्ट से बाहर निकलने का चाभी होता है. कूपन नहीं दिखाने पर संबंधित ट्रक को वहीं रोक कर रखा जाता है. इच्छापुर  चेकपोस्ट के कर्मचारियों से जब पूछा गया कि चेकपोस्ट प्रभारी निरीक्षक केपी अग्निहोत्री कब आते हैं, तो उनका कहना था कि वे माह में एक या दो बार ही यहां आते हैं. लगभग यही स्थित रावेर मार्ग के बार्डर चेकपोस्ट पर देखने मिली.

ट्रक चालकों से मनमाना ले रहे पैसे

ट्रक चालक राजेश का कहना है कि मैं गुजरात से रुचि सोया का माल लेकर इंदौर जा रहा हूं. इच्छापुर चेकपोस्ट पर कर्मचारियों ने काउंटर पर एक हजार रुपये जमा कराए हैं. मेरा ट्रक अंडर लोड है. वाहन के सारे दस्तावेज भी हैं. कर्मचारियों का कहना था कि ट्रक गुजरात से आया है. इसलिए इतने रुपये ही लगेंगे. ट्रक चालक तुलसीराम का कहना है कि मेरे पास आल इंडिया परमिट है. ट्रक और माल के सारे कागजात दिखाने के बाद भी चेकपोस्ट के काउंटर पर 700 रुपये जमा कराए गए. मप्र के बुरहानपुर सहित सभी चेकपोस्टों में ट्रक चालकों से लूटमार की जा रही है. इस पर सरकार रोक लगाने तैयार नहीं है.

मारपीट की धमकी, कहीं भी शिकायत कर दो कुछ नहीं होने वाला

ट्रक चालक प्रदीप का कहना है कि मैं महाराष्ट्र से माल लेकर आया हूं. बार्डर चेकपोस्ट पर ट्रक को रोककर 1200 रुपये जमा कराए गए. कर्मचारियों से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा इंट्री और तौल कांटे के शुल्क के रूप में यह राशि देनी होगी. ज्यादा बात करने पर कर्मचारी अभद्रता पर उतर आए थे. इसी तरह ट्रक चालक मेहबूब का कहना है कि मैं हैदराबाद से आया हूं. इच्छापुर चेकपोस्ट पर 245 रुपये की रसीद जबरन काट दी. शेष बचे 55 रुपये मांगे तो नाके पर तैनात कर्मचारी गाली गलौज और मारपीट पर उतर आया. उसका कहना है कि हम लोकल हैं. यहीं चीर कर रख देंगे. कहीं भी शिकायत कर दो कुछ नहीं होने वाला है.

https://youtu.be/3TPtU5EPOck

ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन हाईकोर्ट में लगाएगा याचिका

ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन अध्यक्ष मनो शर्मा ने कहा कि चेकपोस्ट पर अवैध वसूली को लेकर हमारे संगठन ने हर जगह शिकायत की है. बीते दिनों परिवहन मंत्री से भी मुलाकात की थी. बावजूद इसके अवैध वसूली बंद नहीं हो रही है. संगठन जल्द ही हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका लगाने वाला है. इस पर रोक लगनी चाहिए.

कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर बोला हमला

इस पूरे मामले में विपक्षी दल कांग्रेस भाजपा सरकार पर हमलावर हो गई है. कांग्रेस जिलाध्यक्ष अजय रघुवंशी ने कहा कि चेकपोस्टों पर सारा खेल भाजपा सरकार की मिलीभगत से चल रहा है. उनके ही केंद्रीय परिवहन मंत्री अवैध वसूली रोकने के लिए पत्र लिख रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री कुछ करने को तैयार नहीं हैं. ट्रासंपोर्टरों की हालत पहले ही खराब है. इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए.

बीजेपी ने कार्रवाई का दिलाया भरोसा

इस पर सांसद प्रतिनिधि गजेन्द्र पाटिल ने कहा कि इच्छापुर चेकपोस्ट में यदि किसी तरह का भ्रष्टाचार हो रहा है, तो कांग्रेस को वहां जाकर आंदोलन करना चाहिए. कोई अधिकारी यदि अवैध वसूली में संलिप्त है, तो मैं भरोसा दिलाता हूं कि प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस पर सख्त कार्रवाई करेंगे.

अधिकारी से नहीं हो सकी बात

वहीं चेकपोस्ट प्रभारी निरीक्षक केपी अग्निहोत्री का पक्ष जानने के लिए कर्मचारियों से उनका मोबाइल नंबर मांगा गया, लेकिन उन्होंने नंबर देने से साफ इनकार कर दिया. जिसके चलते उनका पक्ष सामने नहीं आ सका है. इसके अलावा जिला परिवहन अधिकारी राकेश भूरिया से भी बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. अब देखना यह होगा कि शिवराज सरकार क्या इस अवैध वसूली पर लगाम लगा पाती है या फिर यूं ही यह खेल जारी रहेगा ? या फिर इस खेल के सभी खिलाड़ी हैं ?

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